मुंबई। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और अर्थव्यवस्था पर इसके असर के मद्देनजर निवेशकों ने तेजी से बिकवाली की, जिसका नकारात्मक असर रुपये पर देखने को मिला। गुरुवार को भारतीय रुपया पहली बार 76.42 प्रति डॉलर के नीचे फिसल गया। दरअसल, रुपये की शुरुआत आज कमजोरी के साथ हुई और डॉलर के मुकाबले रुपया 62 पैसे की कमजोरी के साथ 74.25 के स्तर पर खुला।
कारोबारियों ने कहा कि कोरोना वायरस के देश दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को लेकर निवेशकों लगातार भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं, जबकि कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि रुपये में गिरावट की प्रमुख वजह कच्चे तेल के इंपोटर्स की लिवाली के बीच स्थानीय शेयर बाजारों से विदेशी फंड की निकासी है। ध्यान रहे जब भी ऐसा होता है तो रुपये पर दबाव बनता है और यह डॉलर के मुकाबले टूट जाता है। इस स्थिति में भारतीय एक्सपोटर्स को डॉलर के मुकाबले रुपया गिरने से फायदा होता है। उनकी कमाई बढ़ जाती है। विदेश यात्रा पर जाने वालों को भी रुपया कमजोर होने का नुकसान उठाना पड़ता है। डॉलर के मुकाबले रुपये के गिरने का मतलब दूसरे देश से आयात करना महंगा पड़ता है। बाहर से मंगाया जाने वाला सामान ज्यादा कीमत पर मंगावाना पड़ेगा तो नुकसान होगा।