नई दिल्ली। देश में सूखे को झेलने और अधिक पैदावार देने में सक्षम चने की दो नयी किस्में विकसित की गयी है। चने की दो नयी किस्में पूसा चिकपी 10216 और सुपर एनेगरी -1 है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नयी दिल्ली और यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साईंसेज रायचूर कर्नाटक ने इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीच्यूट फॉर सेमी एरीड ट्रापिक्स हैदराबाद के सहयोग से आणविक प्रजनन के माध्यम से इन दोनों किस्मों को विकसित किया है। पूसा चिकपी 10216 चने की सूखा सहिष्णु किस्म है जिसे भारद्वाज चूल्लापिला और डा राजीव के वार्ष्णेय की टीम ने विकसित किया है । इसे चने की पुरानी किस्म पूसा 372 की आनुवांशिक पृष्टभूमि में तैयार किया गया है। नयी किस्म की औसत पैदावार 1447 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म 110 दिनों में तैयार हो जाती है।
यह फुजेरियम विल्ट, सूखी जड़ सड़ांध और स्टंट रोग प्रतिरोधी है।यह किस्म मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बुन्देलखंड के लिए उपयुक्त है। सुपर एनेगरी -1 किस्म को डा. लक्ष्मण, डी एम मन्नूर डा. वाष्णेय और डा. महेन्द्र की टीम ने विकसित किया है। इस किस्म को चने की पुरानी किस्म डब्ल्यूआर 315 से आणविक प्रजनन के माध्यम से विकसित किया गया है। इसकी औसत पैदावार 1898 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। यह 95 से 110 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है। इससे कर्नाटक में चने के उत्पादन में वृद्धि का अनुमान है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डा. त्रिलोचन महापात्रा ने चने की दो नयी किस्मों के विकास पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक नया प्रयोग था जिससे चने की पैदावार बढाने में मदद मिलेगी।