इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर और परमाणु बम को लेकर बड़ा बयान दिया है। भारत को बात-बात पर परमाणु हथियारों की गीदड़ भभकी देने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक और शिगूफा छोड़ा है। इमरान खान ने दावा किया कि अगर कश्मीर का मुद्दा सुलझ जाए तो पाकिस्तान को परमाणु बम की जरूरत नहीं रहेगी। पाकिस्तान के तेजी से बढ़ते परमाणु हथियारों पर इमरान खान ने सफाई देते हुए कहा कि हमारे परमाणु बम केवल हमारी सुरक्षा के लिए हैं। पाकिस्तानी पीएम ने यह भी दावा किया कि उन्हें परमाणु हथियारों के बढ़ने के बारे में कोई पक्की जानकारी नहीं है। वहीं इमरान ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में मध्यस्थता का राग अलापा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के साथ कश्मीर विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता करे। इमरान खान ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि जहां तक मैं जानता हूं कि परमाणु बम कोई आक्रामक चीज नहीं है। कोई भी देश जिसका पड़ोसी सात गुना बड़ा है वह चिंता तो करेगा ही । इमरान खान ने यह भी कहा कि मैं हमेशा से ही इसके खिलाफ रहा हूं। हमारी भारत के साथ तीन बार जंग हो चुकी है। इसके बाद हमारे पास परमाणु हथियार हैं। तब से लेकर अब तक कोई भी युद्ध भारत के साथ नहीं हुआ है।'
पाकिस्तानी पीएम ने कहा कि परमाणु बम बनाने के बाद हमारी भारत के साथ सीमा पर झड़प हुई है लेकिन युद्ध नहीं हुआ है। पीएम इमरान खान ने कहा, 'जिस समय कश्मीर के मुद्दे पर एक समाधान हो जाएगा, दोनों पड़ोसी देश एक सभ्य नागरिक की तरह से रहेंगे। हमें परमाणु हथियारों की जरूरत नहीं रहेगी।' इसी इंटरव्यू के दौरान दुनियाभर में कथित इस्लामोफोबिया पर लगातार 'ज्ञान' दे रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान उइगर मुस्लिमों के मुद्दे पर बुरी तरह से घिर गए। इस दौरान इमरान खान ने एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर में मध्यस्थता का राग अलापा है। इमरान ने कहा कि अमेरिका भारत के साथ कश्मीर विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता करे। पाकिस्तान के इस मांग का भारत लगातार कड़ा विरोध करता रहा है। भारत का कहना है कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय है और इसका हल आपसी बातचीत से ही हो सकता है। इमरान ने कहा कि अमेरिका को कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप करना चाहिए। इससे पहले भी इमरान खान ने कश्मीर विवाद को सुलझाने में अमेरिका के हस्तक्षेप की मांग की थी जिसे तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्वीकार कर लिया था। हालांकि भारत के विरोध के बाद इस दिशा में कुछ खास हुआ नहीं।