नई दिल्ली. कोरोना के कारण सरकार के मंत्रियों और स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण सरकारी विभागों पर काम का बोझ इतना ज़्यादा है कि यदि राष्ट्रीय स्तर की महतवपूर्ण संस्था कोरोना से निपटने के लिए सरकार की मदद करने के उद्देश्य से कोई तार्किक जानकारी मांगे तो भी किसी के पास इतनी फ़ुरसत नहीं है कि वो इसका जवाब दें. हालांकि ये जानकारी आम जनता से जुड़ी हुई है और लोगों के लिए जानना बहुत ज्यादा जरूरी है.
आज से लगभग 6 महीने पहले कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से पूछा था कि क्या करेंसी नोट से भी कोरोना वायरस फैलता है? कई बार याद दिलाने के बावजूद आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन इस बात का जवाब नहीं दे पाए हैं. कैट ने एक बार फिर डॉक्टर हर्षवर्धन से इस बारे में स्पष्टीकरण देने का आग्रह किया है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की कैट ने 9 मार्च 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को एक पत्र भेजकर पूछा था की क्या कोरोना करेंसी नोटों के ज़रिए फैल सकता है.
18 मार्च 2020 को कैट ने एक अन्य पत्र इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (IGMR) के निदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव को पत्र भेज कर यही सवाल उनसे भी किया था, लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी इतने महत्वपूर्ण सवाल जो न केवल देश के करोड़ों व्यापारियों बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा ही नहीं बल्कि कोरोना काल में जिसकी प्रासंगिकता और अधिक बढ़ गई है का जवाब किसी ने देना उचित नहीं समझा. कई बार स्वास्थ्य मंत्री तथा आईसीएमआर को याद दिलाया किंतु कैट को आज तक उत्तर का इंतज़ार है.
कैट ने कहा था कि करेंसी नोट कई लोगों से होकर गुजरता है और इससे वायरस फैलने का खतरा है. सरकार को इस पर प्रामाणिक स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए. इसके साथ ही कैट ने सवाल किया है कि क्या करेंसी नोट संक्रामक रोगों के वाहक हैं? अगर ये हैं तो इससे बचने के सुरक्षा उपाय भी बताने चाहिए.
उल्लेखनीय है कि देश में अनेक जगह और विदेशों में अनेक देशों में इस विषय पर अनेक अध्ययन रिपोर्ट में यह साबित हुआ है की करेंसी नोटों के द्वारा किसी भी प्रकार का संक्रमण तेज़ी से फैलता हैं, क्योंकि नोटों की सतह सूखी होने के कारण किसी भी प्रकार का वायरस या बैक्टीरिया लम्बे समय तक उस पर रह सकता है और क्योंकि करेंसी नोटों का लेन- देन बड़ी मात्रा में अनेक अनजान लोगों के बीच होता है तो इस शृंखला में कौन व्यक्ति किस रोग से पीड़ित है यह पता ही नहीं चलता और इस कारण से करेंसी नोटों के द्वारा संक्रमण जल्दी होने की आशंका रहती है.