जो बाइडन प्रशासन का आकलन है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की हाल की यूरोप यात्रा अपने मकसद में कामयाब रही। इसके बावजूद अमेरिका के जो दीर्घकालिक लक्ष्य हैं, उनके मुताबिक यूरोपीय सहयोगी देशों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ करने में अभी और वक्त लगेगा।
बाइडन प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक यूरोपीय नेता इस बात से उत्साहित हैं कि राष्ट्रपति बाइडन पश्चिमी मूल्यों, बहुपक्षीय सहयोग, और पश्चिमी देशों की स्थिरता पर जोर दे रहे हैं। लेकिन इन अधिकारियों का मानना है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौर में सहयोगी देशों के साथ संबंधों को और साथ ही एक भरोसेमंद सहयोगी के रूप में अमेरिका की साख को जो नुकसान पहुंचा, उसकी पूरी भरपाई करने में समय लगेगा।
अमेरिकी अधिकारियों ने अपना ये आकलन अमेरिकी मीडिया को बताया है। उनके मुताबिक यूरोपीय देश चाहते हैं कि यूरोप और अमेरिका के संबंधों को अब इस तरह ढाला जाए, जिससे अगर आगे डोनाल्ड ट्रंप जैसा कोई नेता व्हाइट हाउस में आ जाता है, तभी वह इस रिश्ते को क्षति ना पहुंचा सके। ट्रंप के दौर में यूरोप को रूस और चीन के खिलाफ अपनी सुरक्षा नीति खुद तय करने के बारे में सोचना पड़ा था। जबकि उसके पहले ऐसी कल्पना भी नहीं की जाती थी।
अमेरिकी मीडिया में छपी रिपोर्टों के मुताबिक यूरोपीय राजनयिक इस आशंका से ग्रस्त हैं कि अमेरिका और यूरोप में चरमपंथी आंदोलनों का उभरना जारी रह सकता है। उससे लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा होगा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए भी नई चुनौतियां पैदा होंगी।
एक यूरोपीय राजनयिक ने टीवी चैनल सीएनएन से कहा- 'हमने देखा कि पिछले अमेरिकी चुनाव में क्या हुआ। हम जानते हैं कि ऐसा हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अंदर भी हो सकता है। अगले दो या चार साल में सूरत बिल्कुल बदल सकती है। इसीलिए हम मिल कर कुछ ऐसा निर्मित करने की कोशिश कर रहे हैं, जहां से से वापस ना लौटा जा सके।'
लेकिन विश्लेषकों ने कहा है कि दोनों तरफ जताए गए अच्छे इरादों के बावजूद फिलहाल ये अनुमान लगाना मुश्किल है कि अगले 18 महीनों में यूरोप और अमेरिका में क्या स्थिति बनेगी। अमेरिका में अगले साल मध्य अवधि के संसदीय चुनाव होंगे। उधर फ्रांस, जर्मनी, उत्तर आयरलैंड आदि में आम चुनाव होने वाले हैं। उन चुनावों के बाद किस तरह की ताकतें मजबूत होकर उभरेंगी, ये कहना अभी मुश्किल है।
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के दौर में विदेश मंत्रालय में अधिकारी रहे टायसन बार्कर ने बाइडन की यूरोप यात्रा के बाद कहा- 'टेबल सज गया है। खाना पकना शुरू हो गया है। लेकिन हम में से कोई नहीं जानता की भोजन का स्वाद कैसा होगा।' बार्कर ने कहा कि बाइडन प्रशासन ने यह स्वीकार कर लिया है कि अमेरिका और यूरोप चीन के मामले में अलग-अलग नजरिए से चलेंगे। उनके मुताबिक अभी यह नहीं मालूम है कि अगर यूरोप ने चीन के साथ आर्थिक संबंध बढ़ाना जारी रखा, तो उस पर व्हाइट हाउस क्या कदम उठाएगा।
बार्कर ने कहा है- 'अगर ऐसा होता है, तो अमेरिकी अधिकारी यूरोप के साथ मिल कर काम करने की चाहे जितनी कोशिशें करें, लेकिन इस वक्त अमेरिका में जो भावना है, उसे देखते हुए साफ है कि दोनों पक्षों के संबंध प्रभावित होंगे।' विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप ने संबंध इतने बिगाड़ दिए थे कि जो बाइडन की दोस्ताना बातें सुन कर यूरोपीय नेता उत्साहित हुए।
ये नेता बाइडन को एक ऐसे नेता के रूप में देखते हैं, जो उनके जैसे उसूलों में यकीन करता है। इसके बावजूद यूरोप और अमेरिका दोनों जगह यह आकलन है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद दोनों पक्षों में जो संबंध बने थे, उनकी समाप्ति हो चुकी है। अब कुछ नया करना होगा। विश्लेषकों के मुताबिक यूरोपीय रणनीतिकार जब ऐसा कहते हैं कि तो उसका मतलब यह होता है कि यूरोप को आत्म-निर्भर बनने की तैयारी जारी रखनी होगी।