कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत ने देश में कोरोना वैक्सीन के उत्पादन की गति बढ़ा दी है. अब भारत अपने यहाँ ही नोवावैक्स की कोरोना वैक्सीन बनाने की तैयारी कर रहा है. इस वैक्सीन का उत्पादन पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट करेगा जो ऑक्सफ़र्ड-एस्ट्राज़ेनेका की कोविशील्ड का भी उत्पादन कर रहा है.
कंपनी के अनुसार हाल ही में अमेरिका में हुए वैक्सीन के आख़िरी चरण के क्लिनिकल ट्रायल में इसे 90 फ़ीसदी तक कारगर पाया गया है. भारत सरकार ने घरेलू कंपनी बायोलॉजिकल ई को भी एक अन्य कोरोना वैक्सीन की 30 करोड़ खुराक के लिए ऑर्डर दिया है. भारत सरकार अब तक अपने नागरिकों को तीन अप्रूव्ड कोरोना वैक्सीन- कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक V की 26 करोड़ डोज़ दे चुकी है.
कोरोना संक्रमितों के आंकड़ों के हिसाब से अमेरिका के बाद दुनिया में संक्रमण के सबसे अधिक मामले भारत में हैं. भारत में कोरोना संक्रमितों का कुल आंकड़ा अब 2.9 करोड़ तक पहुंच चुका है, जबकि अमेरिका में अब तक 3.3 करोड़ लोग इस वायरस से संक्रमित हुए हैं. तीसरे नंबर पर ब्राज़ील है जहां अभी तक 1.75 करोड़ लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं.
दुनिया भर में कोरोना के हुई मौतों की बात की जाए तो भारत इस मामले में अमेरिका और ब्राज़ील से बाद तीसरे नंबर पर है. यहां अब तक कोविड-19 से तीन लाख से अधिक मौतें हो चुकी हैं. भारत सरकार ने इस साल के ख़त्म होने से पहले सभी नागरिकों को कोरोना वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन वैक्सीन की कमी और वैक्सीन लगवाने में हिचक के कारण टीकाकरण की पहले से धीमी रफ्तार और भी सुस्त पड़ गई है.
भारत में जनवरी में टीकाकरण अभियान की शुरूआत की गई थी और अब तक केवल 3.5 फीसदी लोगों को ही वैक्सीन की दोनों डोज़ दी जा सकी हैं जबकि 15 फीसदी लोगों को वैक्सीन की एक डोज़ ही मिली है. फिलहाल भारत सरकार नागरिकों को कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन दे रही है, जिनका उत्पादन देश के भीतर ही किया गया है.