25 Apr 2024, 14:35:23 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा- कृषि कानून नहीं होंगे रद्द, सरकार किसानों से किसी भी...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 18 2021 8:07PM | Updated Date: Jun 18 2021 8:08PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

तीन नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को केंद्र सरकार का रुख साफ किया है. तोमर ने कृषि कानूनों को वापस लिये जाने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि कानूनों से संबंधित प्रावधानों पर किसी भी किसान संगठन से सरकार कभी भी बात करने को तैयार है। सरकार और किसान यूनियनों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है।

आखिरी बार बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद दोनों पक्षों के बीच बातचीत रुक गई थी। मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसान पिछले छह महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुये हैं।

किसान तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बंद हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक इन कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाई है। कोर्ट ने इस मुद्दे के समाधान के लिए एक समिति का भी गठन किया है।

कृषि मंत्री तोमर ने अपने ट्विटर खाते में डाले वीडियो में कहा, 'भारत सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। कानूनों को वापस लेने की मांग को छोड़कर कानून के किसी भी प्रावधान पर यदि कोई भी किसान संगठन बातचीत करना चाहता है तो वह आधी रात को भी बातचीत के लिये तैयार हैं।

तोमर और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल सहित तीन केंद्रीय मंत्रियों ने आंदोलन कर रही किसान यूनियनों के साथ 11 दौर की बातचीत की थी। आखिरी बैठक 22 जनवरी को हुई थी जिसमें किसान यूनियनों ने सरकार के कानूनों को फिलहाल निलंबित करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

20 जनवरी को हुई दसवें दौर की बातचीत में केंद्र ने इन कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने और संयुक्त समिति के गठन का प्रस्ताव किया था। केंद्र का प्रस्ताव था कि इसके लिए किसानों को दिल्ली सीमाओं से अपने घर लौटना होगा। तीन कृषि कानूनों कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर किसानों का (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) समझौता अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 -- को संसद ने पिछले साल सितंबर में पारित किया था।

किसानों समूहों का आरोप है कि इन कानूनों से मंडियां और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद प्रणाली समाप्त हो जाएगी और किसान बड़े कॉरपोरेट के मोहताज हो जाएंगे। हालांकि, सरकार ने इन आशंकाओं को निराधार बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी 2021 को इन तीनों कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को अगले आदेश तक के लिये स्थगित कर दिया था।

साथ ही गतिरोध को दूर करने के लिये चार सदस्यी समिति को नियुक्त कर दिया। भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने हालांकि बाद में अपने को समिति से अलग कर दिया। अन्य सदस्यों में सेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनवत और कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी और अशोक गुलाटी समिति के अन्य सदस्यों में शामिल हैं। समिति ने संबद्ध पक्षों के साथ विचार विमर्श और बातचीत की प्रक्रिया पूरी कर ली है।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »