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बीआरओ एक्स सर्विसमैन ने की, सेना के समान सुविधाओं की मांग

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 11 2021 3:05PM | Updated Date: Apr 11 2021 3:05PM
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नई दिल्ली। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के सेना का अटूट अंग होने के बावजूद इसके अधिकारियों एवं जवानों को सेना के अन्य अधिकारियों एवं जवानों के बराबर सुविधाएं देने की मांग को लेकर बल के पूर्व अधिकारियों एवं जवानों से सरकार से पुन: गुहार लगायी है। ऑल इंडिया जनरल रिजर्व इंजीनियर्स फोर्स (जीआरईएफ) एक्स सर्विसमैन वेल्फेयर एसोसिएशन ने सरकार से मांग की है कि जीआरईएफ के अधिकारियों एवं जवानों को उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार सेना के अन्य अधिकारियों के बराबर सभी सुविधाएं दीं जायें।
 
साढ़े तीन दशक बीत जाने के बावजूद ऐसा नहीं होने की वजह से बल के सेवारत एवं पूर्व अधिकारियों एवं जवानों में रोष व्याप्त है। एआईजीईएसडब्ल्यूए के अध्यक्ष टी जे गोपकुमार और महासचिव के. अय्यप्पन ने एक विज्ञप्ति में यह मांग दोहरायी है। उन्होंने मांग की कि बीआरओ में काम करने वाले जीआरईएफ के अधिकारियों को सेना अधिनियम के अंतर्गत माना जाता है और उन्हें भी सेना के समान रैंक प्रदान किये जाते हैं।
 
शांतिकाल हो या युद्ध, उन्हें भी वर्दी पहन कर सीमाओं एवं मोर्चों पर सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिला कर जोखिम पूर्वक काम करना पड़ता है। तो फिर उन्हें सेना के बराबर सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। उन्होंने मांग की कि जीआरईएफ के अधिकारियों और जवानों को एक्स सर्विस मैन का दर्जा दिया जाना चाहिए, उनके रैंक के हिसाब से आर्मी पे की तर्ज पर ग्रिप पे दी जाये, कैंटीन की सुविधा मिले तथा सैन्य अधिकारियों एवं जवानों के समान विभिन्न प्रकार की कर छूट भी दी जानी चाहिए।
 
उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने 1983 में बीआरओ के एक याचिका की सुनवाई में इस संगठन को सेना का अटूट अंग बताते हुए इसके अधिकारियों एवं जवानों को सेना के समान सभी सुविधाएं दिये जाने के निर्देश दिये थे। सरकार ने 14 अगस्त 1985 को एक अधिसूचना में बीआरओ यानी जीआरईएफ को सेना का अविभाज्य हिस्सा घोषित किया था लेकिन प्रशासनिक लालफीताशाही के कारण 36 साल बाद भी जीआरईएफ अधिकारियों एवं जवानों को सेना के अधिकारियों एवं जवानों के समान सुविधाएं नहीं दी जा सकी हैं। 
 
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