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अमरिंदर की किसानों से ट्रैक्टर रैली के दौरान शान्ति बनाये रखने की अपील

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 26 2021 12:07AM | Updated Date: Jan 26 2021 12:08AM
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चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने किसानों से अपील की है कि वे गणतंत्र दिवस पर निकाली जा रही ट्रैक्टर रैली के दौरान शान्ति और गणतंत्र दिवस की गरिमा बनाये रखें। उन्होंने केंद्र सरकार को एक बार फिर किसान भाईचारे के संकट को सुझलाने के लिए उनकी आवाज सुनने की अपील की है। 

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आज यहां जारी संदेश में उन्होंने कहा कि इन संघर्षशील महीनों में अमन-शान्ति आपके लोकतांत्रिक संघर्ष की मिसाल बनी रही और राष्ट्रीय राजधानी में ट्रैक्टर रैली समेत आने वाले दिनों में आपके आंदोलन के दौरान यही भावना बरकरार रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कल राष्ट्रीय राजधानी की सडकों पर आपके ट्रैक्टर निकलने का दृश्य इस तथ्य का सूचक होगा कि संविधान और हमारे गणतंत्र के सिद्धांतों पर कोई समझौता नहीं हो सकता और न ही इनको अलग किया जा सकता है। 

यह बड़े दुख की बात है कि हमारा संघीय ढांचा मौजूदा हुकूमत के अधीन सबसे बड़े ख़तरे का सामना कर रहा है। बिना किसी बहस या विचार-चर्चा के तीन कृषि कानून लागू किए गए, वह ढंग दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में बर्दाश्त करने लायक नहीं। केंद्र सरकार के पास कृषि जैसे राज्यों से सम्बन्धित विषय पर कानून बनाने का कोई अधिकार है ही नहीं और कृषि कानूनों को लागू करना हमारे संविधान और संघीय ढांचे के सिद्धांत की सरासर उल्लंघना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक साझी लड़ाई है, जिसमें उनकी सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है, का उद्देश्य संविधान के संघीय ढांचे की हिफाजत करना है। हम हरेक उस किसान के साथ खड़े हैं जिसके ख़ून-पसीने ने दशकों तक पंजाब की धरती को सींचा है और जिनके बगैर भारत एक आत्मनिर्भर देश नहीं बन सकता था। 

हरेक मृतक किसान के एक पारिवारिक सदस्य को नौकरी और मुआवजे के अलावा हम उनके परिवारों को अन्य किसी भी तरह की संभव मदद मुहैया करने के लिए तैयार हैं। भारत सरकार तक अपनी आवाज पहुँचाने के लिए दिल्ली की सरहद पर डटे किसानों के परिवारों तक हम अपनी पहुँच जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि केन्द्र हठधर्मिता न अपनाती तो आंदोलन टाला जा सकता था और इसके बाद भी काफी देर पहले ख़त्म हो सकता था। इन कानूनों को रद्द करने से इन्कार करने के पीछे कोई उचित वजह नजर नहीं आती और ये कानून भी किसानों और अन्य सम्बन्धित पक्षों के साथ सलाह मशविरा लिये बिना लागू कर दिए गए।

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