नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने शुक्रवार को कहा कि देश में आईआईटी जैसे संस्थानों के कंधों पर उच्च गुणवत्ता युक्त तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा देने की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। डॉÞ निशंक ने आज ऑनलाइन माध्यम से आईआईटी पलक्कड़ (केरल) के स्थाई परिसर की आधारशिला रखी और कहा कि देश में आईआईटी जैसे संस्थानों के कंधों पर उच्च गुणवत्ता युक्त तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा देने की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
ऐसे में भारतीय प्रौद्योगिक क्रांति के लिए जरूरी है कि आईआईटी जैसे संस्थान "ज्ञान, समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान" की एक व्यापक सोच के साथ आगे बढ़े और उन्हें खुशी है कि आईआईटी पलक्कड़ समेत सभी आईआईटी संस्थान इसी व्यापक सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। आईआईटी पलक्कड़ के स्थायी परिसर के प्रथम चरण के निर्माण कार्यों के लिए 1006 करोड़ रुपये की बजट राशि अनुमोदित की जा चुकी है और दिसंबर 2022 तक इसके प्रथम चरण के निर्माण कार्य को पूरा किया जाना है।
वर्ष2015 में आईआईटी मद्रास की देखरेख में आईआईटी पलक्कड़ शुरू हुआ था। तब इस संस्थान में सिर्फ चार बी टेक प्रोग्राम तथा 106 छात्र थे। आज इस संस्थान में चार बी टेक प्रोग्राम, छह एम टेक प्रोग्राम, तीन एमएससी प्रोग्राम में लगभग 800 छात्र हैं जिन्हें 94 फैकेल्टी मेंबर्स पढ़ाते हैं।
इसके अलावा संस्थान में 60 से ज्यादा अन्य स्टाफ सदस्य भी कार्यरत हैं। डॉÞ निशंक ने कहा, "आप सब जानते है कि ‘स्टडी इन इंडिया’, ‘स्टे इन इंडिया’ तथा ‘शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण’ के माध्यम से हम भारत को शिक्षा के एक वैश्विक हब के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही शिक्षा की उच्च गुणवत्ता के लिए यह जरूरी भी है कि हम विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग, समन्वय एवं समझौते के तहत आगे बढ़ें।
ऐसे में आईआईटी पलक्कड़ देश-विदेश के बहुत सारे संस्थानों जैसे कि कोच्चि की नवल फिजिकल ओशियनोग्राफिक लेबोरेटरी, बेंगलुरु के निमहंस, यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा (कनाडा), सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी व दक्षिण कोरिया की हन्यांग यूनिवर्सिटी तथा रूस के बेल्गोरोद स्टेट टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी आदि के साथ सहयोग और समन्वय के माध्यम से आगे बढ़ रहा है जो कि काफी सराहनीय है।’’ उन्होंने कहा कि फ्रांस और जर्मनी के विभिन्न संस्थानों के साथ आईआईटी पलक्कड़ अपने सेंटर फॉर रिसर्च एंड एजुकेशन इन डेटा साइंस के माध्यम से डेटा साइंस तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए तकनीकी एवं वैज्ञानिक ज्ञान के क्षेत्र में नए संभावनाओं को तलाश रहा है।
ऐसे सहयोगी समझौते निश्चित रूप से शिक्षा की गुणवत्ता तथा भारत की सॉफ्ट पावर को और मजबूती प्रदान करेंगे। केंद्रीय मंत्री ने संस्थान द्वारा कोरोना संकट काल में किये गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा, "किसी भी संस्थान की ताकत एवं क्षमता का पता उसके भवन या दीवारों से नहीं बल्कि संस्थान द्वारा चुनौतीपूर्ण समय में किए गए कार्यों से चलता है। ऐसे में वैश्विक महामारी कोविड-19 के चुनौतीपूर्ण दौर में संस्थान ने न केवल अपनी शैक्षणिक गतिविधियों को जारी रखा बल्कि कुछ उल्लेखनीय अनुसंधान एवं नवाचार के माध्यम से अपनी सार्थकता भी साबित की।"
उन्होनें आईआईटी पलक्कड़ द्वारा कम लागत वाले मेडिकल वेंटीलेटर के निर्माण, पेपर स्ट्रिप्स आधारित टेस्ट किट, पल्स ऑक्सीमीटर, फेफड़े की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड स्क्रींिनग डिवाइस (जो कि ट्रायल स्टेज पर है) तथा रेस्पिरेटर मास्क जो कि उत्पादन के चरण पर है; जैसे इनोवेशन को सराहा। डॉÞ निशंक ने आईआईटी पलक्कड़ के इंडस्ट्री एकेडमी कॉन्क्लेव, उन्नत भारत अभियान तथा गोल (गोइंग ऑनलाइन एस लीडर्स स्कीम, मैथमेटिक्स सर्कल, आवासीय साइंस कैंप, एडिशनल स्किल्स एक्विजिशन प्रोग्राम जैसे कार्यक्रमों की भी प्रशंसा की।
इस अवसर पर केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन, केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन, राज्यमंत्री डॉ. कीर्ति जलील, उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे, आईआईटी पलक्कड़ के निदेशक पी बी सुनील कुमार, बोर्ड ऑŸफ गवर्नर्स के अध्यक्ष रमेश वेंकटेश्वरण एवं आईआईटी पलक्कड़ से जुड़े समस्त शिक्षक, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य, अधिकारी और छात्र-छात्राएं भी इस कार्यक्रम से जुड़े।