नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति शुरूआती शिक्षा से लेकर उच्चतर शिक्षा में बुनियादी बदलाव लायेगी जिससे 21 वीं सदी की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
मोदी ने मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह को वीडियो कांफ्रेन्स से संबोधित करते हुए कहा, ‘‘नेशनल एजुकेशन पॉलिसी, प्री नर्सरी से लेकर पीएचडी तक देश के पूरे शिक्षा सैट अप में मौलिक बदलाव लाने वाला एक बहुत बड़ा अभियान है।’’ उन्होंने कहा कि इस बात के निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं देश की शिक्षा प्रणाली 21 वीं सदी की जरूरतों को पूरा करे इसके लिए ढांचागत सुविधाओं और संरचनात्मक सुधारों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार देश को उच्च शिक्षा का गढ बनाने तथा सामर्थ्यवान युवाओं को और ज्यादा प्रतिस्पधी बनाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण पर ध्यान केन्द्रीत कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘बीते 5-6 सालों से उच्च शिक्षा में हो रहे प्रयास सिर्फ नए संस्थान खोलने तक ही सीमित नहीं है। इन संस्थानों में शासन में सुधार से लेकर लिंग और सामाजिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भी काम किया गया है। ऐसे संस्थानों को ज्यादा स्वायत्ता भी दी जा रही है।’’ उन्होंने कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों में सात नए भारतीय प्रबंधन संस्थान स्थापित किए गए हैं जबकि इससे पहले देश में 13 संस्थान ही थे। इसी तरह करीब छह दशक तक देश में सिर्फ सात एम्स सेवाएं दे रहे थे। वर्ष 2014 के बाद इससे दोगुने यानि 15 एम्स देश में या तो स्थापित हो चुके हैं या फिर शुरु होने की प्रक्रिया में हैं।