29 Mar 2024, 06:26:08 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

डॉ. हर्षवर्धन ने मानवाधिकार मुद्दे के रूप में परिवार नियोजन पर जोर दिया

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 12 2020 10:14PM | Updated Date: Jul 12 2020 10:15PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि समाज के गरीब तबके और हाशिए पर खड़ी महिलाओं को परिवार नियोजन गरिमा प्रदान करता है इसलिए जनसंख्या स्थिरीकरण को लैंगिक समानता, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और मानवाधिकारों का प्रसार के लिए किए जा रहे हमारे प्रयासों का केंद्र बिंदु होना चाहिए।
 
डॉ. हर्षवर्धन ने रविवार को यहां विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे की उपस्थिति में वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विश्व जनसंख्या दिवस मनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनसंख्या स्थिरीकरण के महत्व और भविष्य में जनता और उनके स्वास्थ्य में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है।
 
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के कारण प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के महत्व को पहचानना अब और भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने  सामाजिक आंदोलन का रूप ले चुके स्वच्छ भारत अभियान के लिए  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता का हवाला देते हुए  सभी लोगों से जनसंख्या स्थिरीकरण मिशन को समान रूप से लोगों का एक सशक्त आंदोलन बनाने का आग्रह किया।
 
डॉ. हर्षवर्धन ने यह भी कहा कि भारत वैश्विक परिवार नियोजन 2020 आंदोलन का एक बुनियादी हिस्सा है और भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी इसके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त घरेलू धन का निवेश किया है। इस तरह  2019 में गर्भनिरोधकों के उपयोग के परिणामस्वरूप लगभग 5.5 करोड़ अनचाहे गर्भधारण, कुल 1.1 करोड़ जन्म, 18 लाख असुरक्षित गर्भपात और 30,000 मातृ मृत्यु को रोकने के रूप में अच्छी सफलता मिली है।
 
चौबे ने परिवार नियोजन से मिलने वाले फायदों के बारे में कहा कि परिवार नियोजन न केवल जनसंख्या को स्थिर रखता है बल्कि महिलाओं, परिवारों और समुदायों के लिए बेहतरीन स्वास्थ्य सुनिश्चित करने में मदद करता है। जनसंख्या स्थिरीकरण यह सुनिश्चित करता है कि अधिकतम आबादी के विकास के लिए संसाधन उपलब्ध हैं।
 
उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए अधिक महत्वपूर्ण है कि देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी 15-49 वर्ष के प्रजनन आयु वर्ग में आती है। इस वर्चुअल कार्यक्रम में  प्रीति सूदन, सचिव (एचएफडब्ल्यू), श राजेश भूषण, ओएसडी (एमओएचएफडब्ल्यू),  वंदना गुरनानी, अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक (एनएचएम) और डॉ. मनोहर अगनानी, संयुक्त सचिव (आरसीएच) और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
 

 

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »