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ढाई हजार साल बाद भी उतने ही प्रासंगिक हैं भगवान बुद्ध के उपदेश : राष्ट्रपति कोविंद

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 4 2020 12:50PM | Updated Date: Jul 4 2020 12:51PM
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने धम्म चक्र दिवस पर आज कहा कि मानव जीवन के कष्टों के समाधान के संबंध में दिये गये भगवान बुद्ध के प्रवचन आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने ढाई हजार साल पहले थे। कोविंद ने राष्ट्रपति भवन से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के धम्म चक्र दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भगवान बुद्ध ने अपने प्रवचनों में जिन मूल्यों के बारे में बताया, उनके अनुसार चलना कितना जरूरी है।
 
उन्होंने कहा कि भारत को गर्व है कि वह ‘धम्म ’ की जन्मभूमि है। भारत से ही इसकी शुरुआत हुई और यह  आस-पास के देशों में फैला। वहां नयी उर्वर जमीन पर यह प्राकृतिक रुप से विकसित हुआ और बाद में इसकी शाखायें बनीं। राष्ट्रपति ने कहा कि 2,500 वर्ष पहले आज ही के दिन आषाढ़ पूर्णिमा को पहली बार ज्ञान के वचन बोले गये। ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने पांच सप्ताह किस अवस्था में बिताये, इसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। उसके बाद उन्होंने प्राप्त ज्ञान को दूसरों के साथ बांटना शुरू किया।
 
वाराणसी के पास सारनाथ के एक उद्यान में उन्होंने अपने पांच शिष्यों को ‘ धम्म’ की शिक्षा दी। यह क्षण पूरी मानवजाति के लिए अविस्मरणीय था। भारत में आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रुप में भी जाना जाता है। हिंदु और जैन इसे अपने आध्यात्मिक गुरुओं की याद में मनाते हैं। यह दिवस बिना किसी हठ के ज्ञान की तलाश में अनवरत लगे रहे भारत की न टूटने वाली कड़ी है।
 
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