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चीन पर जनरल नरवाणे के बयान से नाराज नेपाली रक्षा मंत्री बोले- लड़ाई करना...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 26 2020 3:38PM | Updated Date: May 26 2020 4:50PM
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काठमांडू। नेपाल के रक्षा मंत्री ईश्‍वर पोखरेल ने इंडियन आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे पर हमला बोला है। उन्‍होंने कहा है कि जनरल नरवाणे ने पिछले दिनों नेपाल को लेकर जो टिप्‍पणी की थी, उसने उन तमाम गोरखा सैनिकों का अपमान किया है जो भारतीय सेना में निस्‍वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं। भारत की तरफ से अभी तक पोखरेल के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। पिछले दिनों भारत ने उत्‍तराखंड में स्थित लिपुलेख पास का उद्घाटन किया है और इसके बाद से ही भारत और नेपाल के बीच तनाव की स्थिति है। 

जनरल के बयान को बताया राजनीतिक स्‍टंट- जनरल नरवाणे को नेपाल की आर्मी की तरफ से मानद जनरल की उपाधि मिली हुई है। उन्‍होंने कहा कि जनरल नरवाणे का यह कहना कि नेपाल किसी और उकसाने पर बॉर्डर विवाद का उठा रहा है, नेपाली गोरखा सैनिकों का अपमान है जिन्‍होंने भारत की सुरक्षा में अपनी जान गंवाई है। गौरतलब है कि 15 मई जनरल नरवाणे ने चीन का नाम लिए बिना कहा था कि भारत को अच्‍छी तरह से मालूम है कि नेपाल किसके कहने पर विरोध कर रहा है। पोखरेल ने नरवाणे के बयान को एक 'राजनीतिक स्‍टंट' करार दिया है। 

जरूरत पड़ी तो लड़ेगी नेपाली सेना- नेपाल के रक्षा मंत्री नेपील न्यूज एजेंसी राष्‍ट्रीय समाचार समिति को इंटरव्‍यू दे रहे थे। इस दौरान उन्‍होंने न सिर्फ नरवाणे के बयान की आलोचना की बल्कि भारत को यह धमकी तक दे डाली है कि अगर जरूरत पड़ी तो नेपाल की सेना लड़ाई भी करेगी। पोखरेल ने कहा, 'किसी सेना के मुखिया के लिए यह कितना प्रोफेशनल है कि वह राजनीतिक बयानबाजी में पड़े? हमारे देश में तो ऐसा नहीं होता है। नेपाली आर्मी इस तरह के मौकों पर कभी ऐसे बयान नहीं देती है। आर्मी बोलने के लिए नहीं है। नेपाल की आर्मी पूरी तरह से एक प्रोफेशनल मिलिट्री फोर्स है। सही समय आने पर संविधान के तहत सरकार की तरफ से दिए गए निर्देशों पर वह अपना काम करेगी।'

लिपुलेख पास के उद्घाटन से नाराज नेपाल- पोखरेल के मुताबिक इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि क्‍या स्थितियां हैं, इस तरह के बयान संप्रभु और आजाद नेपाल और गौरवशाली नेपालियों के खिलाफ हैं। उनके मुताबिक नरवाणे के बयान के बाद अब इंडियन आर्मी को गोरखा सैनिकों के सामने सिर ऊंचा करके खड़े होने में काफी मुश्किल होने वाली है। पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए लिपुलेख पास का उद्घाटन किया है। नेपाल की तरफ से इसका विरोध किया गया है। जबकि भारत ने नेपाल के विरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सड़क भारत की सीमा में पड़ती है। भारत के विरोध के बाद नेपाल ने एक नया नक्‍शा जारी किया है। इस नक्‍शे में उसने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपनी सीमा में दिखाया है जबकि ये हिस्‍से भारत की सीमा में आते हैं।

इंडियन आर्मी में सात गोरखा रेजीमेंट्स- इंडियन आर्मी में सात गोरखा रेजीमेंट्स हैं और ये 40 से ज्‍यादा बटालियंस का निर्माण करती हैं। इन सभी बटालियंस में सैनिकों की भर्ती नेपाल से होती है। मनोहर पार्रिकर इंस्‍टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्‍टडीज एंड एनालिसिस में आयोजित एक वेबीनार में जनरल नरवाणे ने कहा था, 'हकीकत में नेपाल के राजदूत ने कहा है कि काली नदी के पूर्व का इलाका उनकी सीमा में आता है। उस पर कोई भी विवाद नहीं है। जिस सड़क का निर्माण हो रहा है वह नदी के पश्चिम में है। इस बात पर यकीन करना होगा कि उन्‍होंने किसी के कहने पर यह मुद्दा उठाया हो और इस बात की संभावना काफी ज्‍यादा है।'

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