कोरोना महामारी को मात देने के लिए देश और दुनिया के वैज्ञानिक हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। भारत में वैक्सीन बनाने की कोशिश तेज हो गई है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ा रहे हैं और लगातार उनके संपर्क में हैं। भारत की 6 फॉर्मा कंपनियां वैक्सीन पर काम कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि देश में वैक्सीन पर रिसर्च जारी है, लेकिन यह शुरुआती स्टेज पर है। एक साल से पहले इस पर ठोस सफलता की संभावना कम है।
विशेषज्ञों की मानें तो 6 भारतीय कंपनियां वैक्सीन बनाने में जुटी हैं, लेकिन 2021 से पहले बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए वैक्सीन की तैयार होने की संभावना कम है। भारत समेत पूरी दुनिया वैक्सीन पर काम कर रही है। भारत में Zydus Cadila दो वैक्सीन पर डेवलेप करने में जुटी है। जबकि Serum Institute, Biological E, Bharat Biotech, Indian Immunologicals और Mynvax एक-एक वैक्सीन बना रही हैं। यह जानकारी पिछले महीने फरीदाबाद स्थित ट्रांसलेटर हेल्थ साइंस और टेक्नोलॉजी इंसीट्यूट के कार्यकारी निदेशक के। गगनदीप कांग ने दी थी।
वहीं WHO ने वैक्सीन विकसित करने में शामिल फर्मों में भारत से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, Zydus Cadila, Indian Immunologicals Limited और Bharat Biotech को सूचीबद्ध किया है। इस बीच केंद्र सरकार ने निजी फर्मों और स्टार्ट-अप को इस काम में जोर-शोर से जुटने की अपील की है। पीएम CARES फंड से वैक्सीन बनाने में जुटे फर्मों के लिए 100 करोड़ रुपये का फंड निर्धारित किया गया है। पिछले दिनों पीएम मोदी ने कोरोना वैक्सीन डेवलपमेंट, ड्रग डिस्कवरी, डायग्नोसिस और टेस्टिंग पर टास्क फोर्स टीम के साथ बैठक की और अब तक के डेवलपमेंट के बारे में जानकारी हासिल की।
सीनियर वायरलॉजिस्ट शाहिद जमील का कहना है कि वैक्सीन बनाने में भारत अहम रोल निभा रहा है। भारतीय कंपनियों में वो क्षमता और विशेषज्ञता है। उन्होंने पीटीआई से कहा कि भारत की तीन कंपनियां - सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बॉयोटेक और बायोलॉजिकल-ई सबसे आगे हैं, ये कंपनियां वैक्सीन बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ काम कर रही हैं। इसमें में एक वैक्सीन साल के अंत तक एनिमल ट्रायल के लिए तैयार हो जाएगी। वहीं CSIR-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बॉयोलॉजी के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा, 'हमें जो पता है, उसके मुताबिक हम वैक्सीन डेवलेप करने में एडवांस स्टेज पर फिलहाल नहीं हैं।'
उन्होंने पीटीआई से कहा कि भारत की बहुत सारी कंपनियां वैक्सीन बनाने में जुटी हैं लेकिन सभी अभी शुरुआती दौर में हैं। CSIR के डायरेक्टर का मानना है कि वैक्सीन बनाने में भारत से चीन और अमेरिका काफी आगे है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि भारत में कोरोना वायरस दो-तीन महीने देर से पहुंचा, इसलिए वैक्सीन बनाने में भी हम देर से जुटे हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के कई देशों के मुकाबले टीका बनाने में पीछे है। लेकिन कई स्तर पर काम हो रहा है। अभी तक इस महामारी से लड़ने के लिये कोई कारगर वैक्सीन नहीं बनाई जा सकी है।
दुनियाभर के अन्य देशों की तरह भारत में भी कोरोना वायरस का कहर बरप रहा है। भारत में 24 मई तक कोरोना के 1,31,868 मामले सामने आ चुके हैं, और इस हामारी की चपेट में आने से 3867 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा सक्रिय अमेरिका है जहां कोरोना का टीका विकसित करने के लिए जोर-शोर से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा चीन भी जोर-शोर से जुटा है, और उसने कोरोना की दवा बनाने के करीब पहुंचने का दावा भी किया है। कहा जा रहा है कि सितंबर तक वैक्सीन को लेकर कोई अच्छी खबर आ सकती है। वैसे जानकारों का कहना है कि इसका टीका पूरी तरह से विकसित करने में कम से कम एक साल लग जाएगा।