नई दिल्ली। श्रम कानूनों को कमजोर करने वाले प्रावधानों को वापस लेने की मांग को लेकर शुक्रवार को देशभर में मजदूर संगठन सड़कों पर उतरे और देशव्यापी हडताल की. मजदूरों ने देशभर में धरना, प्रदर्शन तथा अनशन करते हुए गिरफ्तारियां भी दी . राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन सौंपने के लिए राजघाट पर अनशन पर बैठे बैठने का प्रयास कर रहे मजदूर नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया. इन मजदूर नेताओं में तपन कुमार सेन हेमलता, ए.आर.संधु, अमित्व गुहा, अशोक सिंह, विद्या सागर गिरि, एच. एस. सिंधू, राजीव दिमरी, आर के पाराशर तथा लता शामिल थी।
मजदूर संगठनों ने श्रम कानूनों को कमजोर करने की कड़ी निंदा की और इन्हें निर्दयी तथा आपराधिक करार दिया . हडताल करने वाले संगठनों में सेंटर फॉर ट्रेड यूनियन कांग्रेस, आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस , हिन्द मजदूर सभा, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस , ट्रेड यूनियन कांग्रेस कमिटी, सेवा, लेफ्ट पीपल्स फ्रंट तथा अन्य मजदूर संगठन शामिल हैं.
इसके अलावा छह वामदलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्कसवादी कम्युनिस्ट पार्ट, ,मार्क्सवादी भाकपा (माले )आल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक रेवोलूशिनरी सोशलिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट गदर पार्टी ऑफ इंडिया ने हडताल का समर्थन किया। मज़दूर संगठनों ने प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में माँग की कि रास्तों में फंसे सभी मज़दूरों को रेलगाडी और बसों से उनके घरों तक निशुल्कपहुंचाया जाये और सभी मज़दूरों तथा गरीबों को तुरंत 7500 रूपये लगातार तीन महीना तक दिए जाये।
मज़दूर विरोधी श्रम सुधार का अवसर नहीं बनाते हुए सभी ऐसे श्रमिक विरोधी कानूनों को तुरंत वापिस लिया जाये। आपदा के काल में सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण तुरंत रोका जाये। सभी मज़दूरों व गरीबों को तीन महीने का बिना कोई शर्त पूरा राशन तुरंत दिया जाये।सरकारी कर्मचारियों का जो डी ए व डी आर को फ्रीज़ किया गया है उसे तुरंत दिया जाये.