28 Mar 2024, 23:17:31 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

पति की लंबी उम्र के लिए यहां पत्‍नी करती है ऐसा काम, जान रह जाएंगे हैरान

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 23 2020 12:00AM | Updated Date: May 23 2020 12:00AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

पटना। पति के दीर्घायु होने और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए मनाये जाने वाले वट सावित्री व्रत पर बरगद के पेड़ को पंखा चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। वट सावित्री व्रत विशेष रूप से सुहागिनों के लिए बड़ा व्रत माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं अनुसार सावित्री नामक विवाहिता राजकुमारी ने अपने अल्पायु पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए ये व्रत रखा था।यह पर्व ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सोलह शृंगार करके पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और बरगद की पूजा करती हैं। महिलाएं सत्यवान, सावित्री की पूजा की कथा सुनकर पति की लंबी आयु की कामना करती है।इस अवसर पर वट वृक्ष को पंखा चढ़ाने की परंपरा भी इस दिन निभाई जाती है।
 
इस व्रत में वट (बरगद) वृक्ष का खास महत्व होता है। इस पेड़ में लटकी हुई शाखाओं को सावित्री देवी का रूप माना जाता है। वहीं, पुराणों के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास भी माना जाता है। इसलिए, कहते हैं कि इस पेड़ की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
 
मिथिलांचल का करवाचौथ कहा जाने वाला लोक आस्था का पर्व वट सावित्री व्रत हर्षोल्लास से मनाया जाता है। व्रत को लेकर विवाहित महिलायें सोलह श्रृंगार के साथ दुल्हन की तरह सज धज कर व्रत के प्रसाद के रूप में थाली में गुड़, भीगे हुए चने, आटे से बनी हुई मिठाई, कुमकुम, रोली, मोली, पांच प्रकार के फल, पान का पत्ता, धुप, घी का दीया, एक लोटे में जल और एक हाथ का पंखा लेकर वट वृक्ष का पूजन करती हैं। इसके साथ ही वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए रक्षा सूत्र को बांध कर अपने पति के लिए लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान से प्रार्थना करती है। इस दौरान वे पंखा से वृक्ष को हवा लगाकर अपने पति के दीर्घायु होने का वरदान मांगती हैं। इसके बाद व्रती घर जाकर अपने पति के चरण धोती हैं एवं हाथ पंखा से हवा करके उन्हें भोजन खिलाती हैं। इसी तरह बरगद की पूजा के बाद हाथ के बने पंखे का दान किया जाता है ताकि शीतलता बनी रहे।
 
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बाजार का तेजी से हो रहे विस्तार के कारण भले ही शहर के लोगों ने बांस के पंखे को भूला दिया पर आज भी धार्मिक अनुष्ठानों में श्रद्धा के साथ इसका इस्तेमाल होता है। वट सावित्री पूजा हो या फिर अन्य पर्व से इसे बनाने वाले परिवारों को जीविका का बड़ा आधार मिला हुआ है। इनके हाथों के बने पंखे, सूप, डाला, डलिया ही त्योहार में इस्तेमाल करने की परंपरा रही है। शास्त्रों के अनुसार, पूजन सामग्री में बांस का पंखा का होना अनिवार्य है। 
 
 बांस से बने वस्तुओं बनाने में जुटे लोगों ने बताया कि एक सीजन में पूरे परिवार को 10 से 15 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है। भेड़ामोड़ के निकट सड़क किनारे झोपड़ी बना कर रहने वाले लोगों ने बताया कि पहले की तरह अब बांस के पंखे की बिक्री नहीं होती है। कुछ तो प्लास्टिक के पंखों ने इसकी जगह ले ली है। उन्होंने बताया कि आम दिनों में बांस के पंखे पांच से 10 रुपये में बिकता है लेकिन वट सावित्री व्रत में पंखा का खास महत्व होता है इसलिये कल गुरुवार को बांस का पंखा 20 से 35 रुपये बिका है।
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »