नई दिल्ली। कोरोना के उपचार में प्रभावी पाई गई दवा रेमेडिसविर को भी देश में इस्तेमाल की अनुमति मिल सकती है। इस मुद्दे पर रेमेडिसविर के अधिकारियों ने बुधवार को केंद्रीय दवा नियामक प्राधिकरण (सीडीएससीओ) के साथ उच्चस्तरीय बैठक की है। कंपनी इस दवा का पेटेंट पहले ही देश में फाइल कर चुकी है तथा दवा के निर्माण एवं वितरण के लिए तीन भारतीय कंपनियों के साथ साझीदारी कर चुकी है।
अमेरिकी ड्रग प्रशासन ने इस दवा को अस्पतालों में कोविड रोगियों पर इस्तेमाल की आपातकालीन मंजूरी दी है।
जापान में भी कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी गई है। खबर है कि यूरोपीय यूनियन भी दवा को मंजूरी देने की तैयारी में है। कंपनी के साथ बैठक के बाद यह माना जा रहा है कि भारत में भी इस दवा के कोविड रोगियों के अस्पताल में उपचार की अनुमति मिल सकती है। सूत्रों के अनुसार दवा नियामक प्राधिकरण अन्य देशों में इस दवा के प्रभाव के आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है, जिसके बाद वह इस बारे में फैसला लेगा।
अमेरिकी ड्रग प्रशासन, यूरोपीय यूनियन एवं जापान जैसे देशों में अनुमति मिलने के बाद माना जा रहा है कि भारत में भी इसे मंजूरी प्रदान की जा सकती है। किसी अन्य देश में स्वीकृत दवा को भारत में दवा प्राधिकार बिना क्लिनकल ट्रायल के अनुमति दे सकता है। इस मामले में भी यही संभावना व्यक्त की जा रही है। रेमेडिसविर मूलत: इबोला की दवा है लेकिन यह कोविड उपचार में भी उपयोगी पाई गई है। गंभीर तीन रोगियों में से दो इससे ठीक हो रहे हैं, इस बाबत जर्नल में रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं।