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भारत के लिए राहत की खबर, रिसर्चर बोले- यहां नहीं होगा कोरोना असर, क्‍यों की..

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 3 2020 12:14PM | Updated Date: Apr 3 2020 12:14PM
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नई दिल्‍ली।  कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच वैज्ञानिकों को इससे बचाव को लेकर उम्‍मीद की किरण नजर आई है. अमेरिका (US) के न्‍यूयॉर्क इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी (NIT) के डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेस के एक शोध में दावा किया गया है कि जिन देशों में टीबी (TB) की रोकथाम के लिए बच्‍चों को बेसिलस कामेट गुएरिन यानी बीसीजी (BCG) का टीका लगाया जाता है, उनमें कोरोना वायरस से मौतों के मामले काफी कम होंगे अब अगर अमेरिकी वैज्ञानिकों के इस शोध को भारत (India) के मामले में समझें तो देश में 1962 में नेशनल टीबी प्रोग्राम शुरू कर दिया गया था इसका मतलब है कि भारत की बहुसंख्यक आबादी को यह टीका लग चुका है।
 
इस टीके को बच्‍चे के जन्‍म से लेकर 6 महीने के भीतर लगा दिया जाता है। दुनिया में सबसे पहली बार 1920 में टीबी की रोकथाम के लिए लगाया जाने वाला बीसीजी टीका सांस से जुड़ी बीमारियों की भी रोकथाम करता है. ब्राजील (Brazil) में 1920 से तो जापान (Japan) में 1940 से इस वैक्‍सीन का इस्‍तेमाल किया जा रहा है इस टीके में इंसानों में फेफड़ों की टीबी का कारण बनने वाले बैक्‍टीरिया की स्ट्रेन्स होती हैं इस स्ट्रेन का नाम मायकोबैक्टिरियम बोविड है।
 
टीका बनाने के दौरान एक्टिव बैक्टीरिया की ताकत घटा दी जाती है ताकि ये स्वस्थ इंसान में बीमारी न फैला सके। इसके अलावा वैक्सीन में सोडियम, पोटेशियम व मैग्नीशियम साल्ट, ग्लिसरॉल और साइट्रिक एसिड होता है। ब्रिटेन के मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शोध की रिपोर्ट सामने आने के बाद दुनिया भर में COVID-19 के खिलाफ इस वैक्‍सीन के क्‍लीनिकल ट्रायल शुरू कर दिए गए हैं। दुनिया में सबसे पहली बार 1920 में टीबी की रोकथाम के लिए लगाया जाने वाला बीसीजी टीका सांस से जुड़ी बीमारियों की भी रोकथाम करता है। 
 
ब्राजील (Brazil) में 1920 से तो जापान (Japan) में 1940 से इस वैक्‍सीन का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। इस टीके में इंसानों में फेफड़ों की टीबी का कारण बनने वाले बैक्‍टीरिया की स्ट्रेन्स होती हैं इस स्ट्रेन का नाम मायकोबैक्टिरियम बोविड है। टीका बनाने के दौरान एक्टिव बैक्टीरिया की ताकत घटा दी जाती है ताकि ये स्वस्थ इंसान में बीमारी न फैला सके. इसके अलावा वैक्सीन में सोडियम, पोटेशियम व मैग्नीशियम साल्ट, ग्लिसरॉल और साइट्रिक एसिड होता है। 
 
ब्रिटेन के मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शोध की रिपोर्ट सामने आने के बाद दुनिया भर में COVID-19 के खिलाफ इस वैक्‍सीन के क्‍लीनिकल ट्रायल शुरू कर दिए गए हैं। मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं का कहना है कि ये बीसीजी वैक्‍सीन वायरस से सीधा मुकाबला नहीं करती है। ये वैक्‍सीन बैक्टीरिया से मुकाबले के लिए इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत कर देता है इससे शरीर बैक्‍टीरिया का हमला आसानी से सहन कर लेता है स्टडी के मुताबिक कोरोना संक्रमण और उससे हुई मौत के मामले उन देशों में ज्‍यादा हैं,
 
जहां बीसीजी टीका की पॉलिसी या तो नहीं है या बंद कर दी गई है। स्‍पेन (Spain), इटली (Italy), अमेरिका (US), लेबनान, नीदरलैंड और बेल्जियम में बीसीजी टीकाकरण नहीं होता है इन देशों में संक्रमण और मौतों के मामले बहुत ज्‍यादा हैं इसके उलट भारत, जापान, ब्राजील में बीसीजी टीकाकरण होता है इन तीनों ही देशों में अब तक कोरोना संक्रमण और मौतों के मामले कम हैं यहां ये भी बता दें कि चीन में भी बीसीजी टीकाकरण होता है, लेकिन कोरोना की शुरुआत यहीं से होने के कारण शोध में इसे अपवाद माना गया है। 
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