नई दिल्ली। कांग्रेस और वाम दलों ने राजधानी में तीन दिनों से जारी हिंसा की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए इसके लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराया है और गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है जबकि भाजपा ने विपक्षी दलों के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्हें राजनीति न करने की सलाह दी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी राजा, भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने हिंसा की इन घटनाओं के लिए भाजपा को सीधे दोषी ठहराया है और इसे षड़यंत्र की कार्रवाई बताया है और पुलिस की इसमें मिलीभगत होने का आरोप लगाया है। इस बीच कांग्रेस ने पार्टी मुख्यालय से राजघाट तक शांति मार्च निकाला और कल वह राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द को एक ज्ञापन भी सौंपेगी और इस घटना की तरफ ध्यान आकर्षित करेगी एवं सरकार को कार्रवाई करने के निर्देश देने की अपील करेगी।
माकपा सचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, लोकतांत्रिक जनता दल के अध्यक्ष शरद यादव, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, तथा राकांपा और द्रमुक तथा अन्य दलों के नेताओं ने 28 फरवरी को राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा है। भाजपा के वरिष्ठ प्रकाश जावडेकर और रविशंकर प्रसाद ने सोनिया गांधी के बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि उन्होंने इस घटना के लिए भाजपा और केद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा कर अपनी ओछी राजनीति का परिचय दिया है और मामले को भटकाने की कोशिश की है। वाम दलों ने सेना को तैनात करने और कपिल मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई करने तथा दंगा प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की है। वाम दलों ने भी इस मामले में राष्ट्रपति से मिलने की मांग की है। उच्चतम न्यायालय से इस मामले में संज्ञान लेकर जांच कराने की मांग की है। गांधी ने पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति चिंतनीय है। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंसाग्रस्त इलाकों में समय रहते पुलिस की तैनाती नहीं की गयी जिससे कई लोगों को जान गंवानी पड़ी और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा। उन्होंने हिंसाग्रस्त इलाकों में पुलिस तैनाती करने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया।