पुड्डुचेरी। उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि पाठ्यक्रम और विषय में महारत किसी भी शैक्षिक प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। नायडू ने पांडिचेरी विश्वविद्यालय के 28वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ हमें उस महत्वपूर्ण पहलू पर जोर देना चाहिए जिसे आमतौर पर ‘भावनात्मक बुद्धिमत्ता’ कहा जाता है, एक अच्छा इंसान बनने की क्षमता, संतुलित, तर्कसंगत और संवेदनशील व्यक्ति जो मानवता की भलाई के लिए ज्ञान का उपयोग करता है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें यूनेस्को द्वारा सुझाए गए सभी चार स्तंभों को समान महत्व देना चाहिए। जानने के लिए सीखना, करने के लिए सीखना और एक साथ रहने के लिए सीखना समान रूप से महत्वपूर्ण है। वर्तमान वैश्विक संदर्भ में चौथा स्तंभ ‘एक साथ रहने के लिए सीखना’ संभवत: सबसे महत्वपूर्ण है।’’
वेंकैया ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपनी मातृभाषा अवश्य सीखनी चाहिए। मातृभाषा का अभ्यास करना सबसे महत्वपूर्ण है तथा अन्य भाषाओं को सीखने में भी कोई समस्या नहीं है। हिंदी भी सीखें जो राष्ट्रीय स्तर पर अवसर प्रदान करेगी। उप राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी भाषा का अंधा विरोध गलत है और हर व्यक्ति को पहले अपनी मातृभाषा में माहिर बनना चाहिए।