वारंगल। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को कहा कि देश में मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए रोजगार को अनिवार्य रूप से स्थानीय भाषाओं के साथ जोड़ा जाए। नायडू तेलंगाना के वारंगल में आंध्र विद्याभी वर्धानी (एवीवी) शैक्षिक संस्थान के प्लेटिनम समारोहों का उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित करते हुए प्रशासन में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने केंद्र एवं राज्य सरकारों से देश में मातृभाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए रोजगार सृजन में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल को बढ़ाने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा,‘‘यह न केवल प्रशासन को लोगों के करीब लाने का काम करेगा बल्कि हमारी समृद्ध भाषाई विरासत के संरक्षण में भी मदद करेगा।’’
उन्होंने सरदार पटेल का उदाहरण देते हुए कहा कि जबतक एक छात्र निर्देशों को ठीक से नहीं समझेगा तबतक वह उसे पढ़ाये जाने वाले विषय को नहीं समझ पाएगा। नायडू ने मूल्यों पर आधारित शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों का सर्वांगिण विकास होना चाहिए। उन्होंने सभी तरह के सामाजिक भेदभाव को खत्म करने पर जोर देते हुए कहा, ‘‘किसी भी छात्र के जीवन संवारने में अभिभावक के बाद एक शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान होता है।’’
उन्होंने कहा कि बच्चों को शुरू से ही महिलाओं की इज्जत करना सीखा देना चाहिए। उन्होंने भारतीय संस्कृति में महिलाओं के प्रति सम्मान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह इस बात का प्रमाण है कि भारत में सभी नदियों का नाम महिलाओं के ऊपर रखा गया है। नायडू ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ को भारतीय संस्कृति का सार बताते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता हर भारतीय के खून में है और अल्पसंख्यक दुनिया के किसी देशों के मुकाबले भारत में अधिक सुरक्षित हैं।
उन्होंने देश की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत माता की जय का अर्थ 130 करोड़ भारतीयों की जय है। उप राष्ट्रपति ने भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने की कुछ देशों की प्रवृत्ति पर आपत्ति जताई और उन्हें इससे दूर रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र होने के नाते भारत अपने मामलों से खुद निपट सकता है।