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राष्ट्रीय शिक्षा नीति से सर्व समावेशी विकसित भारत के निर्माण का सूत्रपात होगा : मोदी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 8 2020 12:10AM | Updated Date: Aug 8 2020 12:11AM
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि एक लम्बे मंथन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकृत किया गया है और यह शिक्षित, सुदृढ़, सशक्त, सक्षम और सर्व-समावेशी विकसित भारत के निर्माण का सूत्रपात करने में मददगार साबित होगी। मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत उच्चतर शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधार पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एक शिक्षित, सुदृढ़, सशक्त, सक्षम और सर्व-समावेशी विकसित भारत के निर्माण का सूत्रपात होगा। उन्होंने कहा कि आज का सम्मेलन कई मायनों में महत्वपूर्ण है। 

इस सम्मेलन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा के फलस्वरूप विस्तृत जानकारी मिलेगी जिससे और स्पष्टता आएगी और इससे नीति के क्रियान्वयन में सहायता मिलेगी। एक लम्बे मंथन के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकृत किया गया है और काफी समय से इस पर देश में व्यापक चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि यह नीति सर्व-समावेशी है और यही कारण है कि इसकी घोषणा से लेकर आज तक समाज के किसी भी वर्ग से यह बात नहीं उठी है कि किसी वर्ग विशेष के प्रति इसका कोई झुकाव है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जमीनी स्तर पर सफल क्रियान्वयन के बारे में प्रधानमंत्री ने सरकार की राजनीतिक इच्छा शक्ति का भरोसा दिया और शिक्षा जगत से जुड़े सभी लोगों से आव्‍हान किया कि वे इस महती कार्य में अपनी भूमिका को समझें और इसके क्रियान्वयन में अपना योगदान दें। 

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए व्यवस्था में सुधार की जिम्मेदारी हम सब पर है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के नये भारत की आधारशिला तैयार करने वाली नीति है जिसमें भारत को ताकतवर, सशक्त और युवाओं को अवसरों के उपयुक्त बनाने पर खास जोर दिया गया है। इसके लिए युवाओं में समीक्षात्मक, विवेचनात्मक और समालोचनात्मक सोच के साथ-साथ प्रगतिशील एवं अभिनव सोच के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। 21वीं सदी में देश-दुनिया में चहुंमुखी विकास की नई व्यवस्था स्थापित हो रही है और इसके नये वैश्विक मानक तय हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों को एक वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित करने के साथ-साथ उन्हें भारतीय संस्कृति की जड़ों से जोड़े रखने की जिम्मेदारी भी शिक्षा नीति में समाहित है। उन्होंने कहा कि जड़ से जग तक, मनुष्य से मानवता तक, अतीत से आधुनिकता तक सभी प्रमुख बिन्दुओं का समावेश कर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तैयार किया गया है। 

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अन्य विशेषताओं में तकनीक पर केन्द्रित शिक्षा, वर्चुअल प्रयोगशाला, कोडिंग और अनुसंधान के महत्व को बताते हुए स्पष्ट किया कि प्रतिभा और तकनीक के समन्वय से भारतीय विद्यार्थी 21वीं सदी में विश्व के समक्ष विद्यमान समस्याओं का समाधान देने में सक्षम है। इसके लिए फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति विद्यार्थियों को ‘क्या सोचने’ के बजाय ‘कैसे सोचने’ को प्रेरित करती है। सूचना और विषयपरक ज्ञान के अथाह भंडार से क्या सीखना है, इसे तय करना विद्यार्थियों को आना चाहिए। उन्होंने बच्चों पर किताबों और पाठ्यक्रम के बोझ को कम करने पर भी जोर दिया।

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