नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या पहुंचने के बाद सबसे पहले हनुमान गढ़ी पहुंचे और यहां पूजा के बाद उन्होंने रामलला के दर्शन किए। दर्शनों के बाद उन्होंने राम जन्मभूमि पर पारिजात का पौधा भी लगाया। भूमि पूजन से पहले इस पौधारोपण का अपना महत्व है और इस दौरान लगाए गए पारिजात के पौधे का भी पौराणिक और आयुर्वेदिक महत्व है।
बता दें, पौराणिक मान्यताओं अनुसार पारिजात का पौधा ईश्वर की पूजा और आराधना में खास महत्व रखता है। बताया जाता है कि इस पौधे को स्वर्ग से लाकर धरती पर लगाया गया था। नरकासुर के वध के पश्चात एक बार श्रीकृष्ण स्वर्ग गए और वहां इन्द्र ने उन्हें पारिजात का पुष्प भेंट किया। वह पुष्प श्रीकृष्ण ने देवी रुक्मिणी को दे दिया। देवी सत्यभामा को देवलोक से देवमाता अदिति ने चिरयौवन का आशीर्वाद दिया था।
तभी नारदजी आए और सत्यभामा को पारिजात पुष्प के बारे में बताया कि उस पुष्प के प्रभाव से देवी रुक्मिणी भी चिरयौवन हो गई हैं। यह जान सत्यभामा क्रोधित हो गईं और श्रीकृष्ण से पारिजात वृक्ष लेने की जिद्द करने लगी। कहते हैं कि पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी जिसे इंद्र ने अपनी वाटिका में रोप दिया था। हरिवंश पुराण में इस वृक्ष और फूलों का विस्तार से वर्णन मिलता है। इन फूलों को खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन केवल वही फूलों को इस्तेमाल किया जाता है जो अपने आप पेड़ से टूटकर नीचे गिर जाते हैं। यह फूल जिसके भी घर आंगन में खिलते हैं वहां हमेशा शांति और समृद्धि का निवास होता है।