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एलएसी पर भारत की स्थिति में कोई बदलाव नहीं

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 16 2020 8:15PM | Updated Date: Jul 16 2020 8:15PM
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नई दिल्ली। भारत ने आज कहा कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच कुछ विशिष्ट बिन्दुओं पर पहले से बनी चौकियों पर अपनी अपनी सेना की सीमित एवं नियमित तैनाती करने को लेकर सहमति बनी है जिससे एलएसी भारत की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने यहां नियमित ब्रींिफग में कहा कि दोनों पक्षों के बीच इस सहमति की गलत व्याख्या नहीं की जानी चाहिए।
 
भारत की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया है और हम एलएसी के सम्मान को लेकर पूर्णत: प्रतिबद्ध हैं। चीनी सीमा पर स्थिति को लेकर पूछे गये एक सवाल पर प्रवक्ता ने कहा कि पश्चिमी सेक्टर पर सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया जारी है, विशेष रूप से जहां टकराव जैसी स्थिति बन गयी थी। यह प्रक्रिया दोनों देशों के वरिष्ठ कोर कमांडरों के बीच कायम सहमति के आधार पर हो रही है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हो गये हैं कि एलएसी के दोनों ओर नियमित चौकियों पर सैनिकों की तैनाती की जायेगी।
 
दोनों पक्ष पारस्परिक सहमति से ये कदम उठा रहे हैं और यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। प्रवक्ता ने कहा कि परस्पर सैनिकों की इस तैनाती की गलत ढंग से व्याख्या नहीं की जानी चाहिए। एलएसी पर सेनाओं के हटने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है और इसलिए निराधार एवं तथ्यहीन रिपोर्टों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। एलएसी पर भारत की पोजिशन में कोई बदलाव नहीं आया है। हम एलएसी के सम्मान को लेकर पूर्णत: प्रतिबद्ध हैं।
 
एलएसी पर  इकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य है। इससे पहले दिन में रक्षा मंत्रालय ने यहां एक बयान में बताया कि भारतीय सेना और चीन की जनमुक्ति सेना पीएलए के कमांडरों के बीच चौथे दौर की वार्ता के लिए 14 जुलाई 2020 को एक बैठक का आयोजन भारतीय इलाके चुशूल में किया गया। बयान में कहा गया कि वरिष्ठ कमांडरों ने पहले चरण में सीमा से सेनाओं को पीछे हटाने के लिए हुई बातचीत के कार्यान्वयन पर हुई प्रगति की समीक्षा की और पूरी तरह सीमाओं से सेनाओं को पीछे हटाने के कदमों को सुनिश्चित करने पर चर्चा की। बयान के अनुसार दोनों पक्ष पूरी तरह से पीछे हटने के उद्देश्य को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
 
प्रक्रिया जटिल है और इसमें लगातार सत्यापन की जरूरत है। दोनों पक्ष इसे राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित बैठकों के माध्यम से आगे बढ़ा रहे हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच मध्य जून में हुए खूनी टकराव के बाद गत पांच जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एवं चीन के विदेश मंत्री एवं स्टेट काउंसलर वांग यी के बीच करीब दो घंटे से अधिक समय तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में सीमावर्ती इलाकों से सेनाएं हटाने को लेकर सहमति कायम हुई थी। यह भी सहमति बनी थी कि चरणबद्ध तरीके से विसैन्यीकरण की जटिल प्रक्रिया को धैर्य एवं सावधानी से पूरा किया जाएगा। 
 
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