नई दिल्ली। समुद्री क्षेत्र में सहयोग और सुरक्षा संबंधी साझा हितों को ध्यान में रखते हुए भारत और आस्ट्रेलिया की नौसेनाएं सूचनाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढायेंगी। साथ ही दोनों देश कानून प्रवर्तन एजेन्सियों और तटरक्षक बलों के बीच सहयोग बढाने की दिशा में भी काम करेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने आज पहले वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में हिन्द प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग बढाने के उपायों पर चर्चा की।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने व्यापक सामरिक सहयोगियों के रूप में अवसरों का फायदा उठाने और चुनौतियों का सामना करने के लिए साझा विजन के आधार पर सहयोग बढाने के बारे में बात की। दोनों देशों ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा , स्थिरता और समृद्धि को बढावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। इस क्षेत्र में मुक्त नौवहन, सुरक्षित आवागमन और संचार दोनों ही देशों के हित में है।
संयुक्त घोषणा पत्र में कहा गया है कि घनिष्ठ संबंधों और लंबे समय से चली आ रही मित्रता के मद्देनजर भारत और आस्ट्रेलिया स्वभाविक सहयोगी हैं और वे मिलकर साझा विजन पर काम कर सफलता हासिल कर सकते हैं। दोनों ही देश ऐसी नियम आधारित समुद्री व्यवस्था के प्रति वचनबद्ध हैं जो संप्रभुता और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के समझौतों का सम्मान करती हों। दोनों की हिन्द प्रशांत समुद्री क्षेत्र में सामरिक, सुरक्षा और पर्यावरणीय चुनौतियों के संबंध में साझा चिंताएं हैं।
इन चुनौतियों में आतंकवाद, समुद्री लुटेरे, मादक दवाओं और हथियारों की तस्करी आदि प्रमुख हैं। क्षेत्र से संबंधित पर्यावरणीय चुनौतियों जैसे समुद्री प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, पेयजल की कमी, खारा पानी , तूफान के कारण पर्यावासों को नुकसान पर भी दोनों देशों की चिंता साझा हैं। उन्होंने प्लास्टिक और जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र में होने वाले प्रदूषण की चुनौती पर विशेष बल दिया।