नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के समूह में एम्स के डॉक्टर के अलावा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दो सदस्य भी शामिल हैं। अब तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन से इंकार किया है। कम्युनिटी ट्रांसमिशन तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी ज्ञात संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए बिना ही इसका शिकार हो जाता है। कोरोना वायरस पर इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (आईपीएचए) , इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडेमोलॉजिस्ट (आईएई) के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेजा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उम्मीद करना ठीक नहीं है कि इस स्तर पर कोरोना वायरस महामारी को समाप्त किया जा सकता है क्योंकि बीमारी का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया, 'नीति निर्माताओं ने स्पष्ट तौर पर सामान्य प्रशासनिक नौकरशाहों पर भरोसा किया। महामारी विज्ञान, जन स्वास्थ्य, निवारक दवाओं और सामाजिक वैज्ञानिकों के क्षेत्र में विज्ञान विशेषों के साथ बातचीत सीमित रही।' इसमें कहा गया है कि भारत मानवीय संकट और बीमारी के फैलने के लिहाज से भारी कीमत चुका रहा है।
कोविड कार्य बल के 16 सदस्यीय संयुक्त समूह में आईएपीएसएम के पूर्व अध्यक्ष और एम्स दिल्ली में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रमुख डॉ शशि कांत,आईपीएचए के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सीसीएम एम्स के प्रोफेसर डॉ संजय के राय, सामुदायिक चिकित्सा,आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी के पूर्व प्रोफेसर और प्रमुख डॉ डीसीएस रेड्डी, डीसीएम और एसपीएच पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के पूर्व प्रोफेसर और प्रमुख डॉ राजेश कुमार शामिल हैं। भारत में पिछले एक हफ्ते में कोरोना वायरस के करीब 40 हजार से ऊपर मामले आए हैं। इसके बावजूद सरकार लगातर यह कह रही है कि देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का कोई खतरा नहीं है।