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कोरोना लॉकडाउन के दौरान माइक्रोग्रीन्स उगायें, क्‍यों की इसमें...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 5 2020 11:48AM | Updated Date: Apr 5 2020 11:49AM
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नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर माइक्रोग्रीन्स  उगाने की सलाह दी है जो न केवल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए उपयोगी हैं बल्कि बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि भी पैदा करता है। माइक्रोग्रीन्स उगाना आसान है, इन्हे लगाने से काटने तक एक से दो सप्ताह का समय चाहिए और इस बीच में हम लॉकडाउन की अवधि पूरी कर सकते हैं। माइक्रोग्रीन्स भोजन को स्वादिष्ट और पौष्टिक बना सकते हैं।
 
इन्हें स्वयं उगाना रोमांचक है और खास तौर पर बच्चों के लिए सीखने के  अतिरिक्त एक रोचक खेल भी है। स्वादिष्ट एवं पौष्टिक पिज्जा बनाने में माइक्रोग्रीन्स का उपयोग किया जा सकता है जिससे बच्चे भी इसे लगाने में दिलचस्पी लेंगे। बीज से निकलने वाले पौधे और उसमें होने वाले क्रमिक विकास से बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ेगी। केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) लखनऊ के निदेशक शैलेन्द्र राजन ने बताया कि भारतीय परिवेश में चना मूंग मसूर को अंकुरित करके खाना एक आम बात है।
 
ज्यादातर इस कार्य के लिए दालों वाली फसलों का प्रयोग किया जाता है और इन्हें अंकुरित बीज या स्प्राउट भी कहते हैं माइक्रोग्रीन्स इन से कुछ अलग है क्योंकि अंकुरित बीजों या स्प्राउट्स में हम जड़, तना एवं बीज-पत्र को खाने में प्रयोग में लाते हैं लेकिन माइक्रोग्रीन्स में तने, पत्तियों एवं बीज-पत्र का उपयोग किया जाता है और जड़ों को नहीं खाते है आमतौर पर माइक्रोग्रीन्स को मिट्टी या उससे मिलते जुलते माध्यम में उगाया जाता है।  माइक्रोग्रीन्स को विकास के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।
 
मूली और सरसों जैसी सामान्य सब्जियों के बीज का उपयोग इसके लिए किया जाता है। माइक्रोग्रीन्स उगाना  महत्वपूर्ण हो रहा हैं क्योंकि इन्हें उगाना मजेदार और कम मेहनत का काम है । ये फसल कम ही दिन में  तैयार हो जाती है और थोड़े दिन के अंतराल पर इसे कई बार  उगाया जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि किचन में पूरे साल माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन किया जा सकता है, बशर्ते  वहाँ सूर्य की रोशनी आती हो है। यह विटामिन, पोषक तत्वों और बायोएक्टिव कंपाउंड्स के खजाने के रूप में जाना जाता है।
 
इस कारण माइक्रोग्रीन्स  को सुपर फूड कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा। डॉक्टर राजन ने बताया कि कोरोना लॉक डाउन के दौरान माइक्रोग्रीन्स के लिए प्रसिद्ध पौधों के बीज मिलने आसान नहीं है परंतु घर में उपलब्ध मेथी, मटर, मसूर दाल, मसूर, मूंग, चने की दाल को स्प्राउट्स के जगह माइक्रोग्रीन्स से रूप में उगा कर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। इसे उगाने के लिए तीन से चार इंच मोटी मिट्टी की परत वाले किसी भी डब्बे को लिया जा सकता है और यदि ट्रे उपलब्ध है तो और अच्छा है।
 
मिट्टी की सतह पर बीज को फैला दिया जाता है और उसके ऊपर मिट्टी की एक पतली परत डालकर धीरे-धीरे  थपथपा कर यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि मिट्टी कंटेनर में अच्छी तरह से बैठ गई है । मिट्टी के ऊपर सावधानीपूर्वक पानी डालकर  नमी बनाकर रखने से दो से तीन दिन में ही बीज अंकुरित हो जाते हैं । इन अंकुरित बीजों को थोड़ी धूप वाली जगह में रखकर उन पर दिन में दो से तीन बार पानी का छिड़काव किया जाता है । एक हफ्ते के भीतर ही माइक्रोग्रीन्स तैयार हो जाते हैं।
 
यदि आप चाहें तो इन्हें दो से तीन इंच से अधिक ऊंचाई तक बढ़ने दे सकते हैं । इन्हें उगाना आसान है और यह विभिन्न व्यंजनों के अलावा सलाद एवं सैंडविच में भी उपयोग में लाए जा सकते हैं । इनकी कटाई कैंची के द्वारा आसानी से की जाती है और मिट्टी या अन्य माध्यम का उपयोग दोबारा किया जा सकता है । फसल काटने के बाद मिट्टी को गर्मी के दिनों में धूप में फैला कर रखने से उस में पाए जाने वाले रोग जनक सूक्ष्म जीव मर जाते हैं।
 
डॉक्टर राजन के अनुसार माइक्रोग्रीन्स को बिना मिट्टी के भी उगाया जा सकता है कई लोग इन्हें पानी में ही उगाया करते हैं लेकिन पोषक तत्वों के घोल का उपयोग करके अच्छे क्वालिटी के माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन किया जा सकता है माइक्रोग्रीन्स के लिए प्रतिदिन तीन से चार घंटे की सूर्य की रोशनी पर्याप्त है । घर के अंदर ही यदि आपके पास इस प्रकार की जगह उपलब्ध है तो आसानी से उसका उपयोग किया जा सकता है । ऐसी जगह उपलब्ध ना होने पर लोग फ्लोरोसेंट लाइट का भी उपयोग करके सफलतापूर्वक उत्पादन कर लेते है।  घर के बाहर इन्हें उगाने में कोई परेशानी नहीं होती है लेकिन  कभी-कभी चिलचिलाती धूप में इनकी सुरक्षा करना आवश्यक हो जाता है।
 
माइक्रोग्रीन को कैंची से काट कर धोने के बाद प्रयोग में लाया जा सकता है । अधिक मात्रा में उपलब्ध होने के पर इन्हें फ्रिज में रखने से लगभग 10 दिन तक इसका उपयोग किया  जा सकता है । माइक्रोग्रीन्स नाजुक होते हैं अत: काटने के बाद बाहर रखने पर इनके सूखने का डर रहता है। बहुत कम खर्च करके कम समय में और सीमित अनुभव  से भी इसको उगाया जा सकता है।  यदि आप उगाने की कला जान जाते हैं तो साल भर आसानी से इन्हें उगाया जा सकता है। 
 
शहरों में जहां घरों में सीमित स्थान है और गृह वाटिका उपलब्ध नहीं है,  माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन एक अच्छा विकल्प है। खासतौर पर कोरोना त्रासदी के समय जब आपके पास समय की कोई कमी नहीं है और जल्दी  तैयार होने वाली फसल का उत्पादन मुख्य उद्देश्य है। माइक्रोग्रीन उत्पादन शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। माइक्रोग्रीन्स  उगाना वयस्कों के लिए ही सुखद नहीं बल्कि बच्चों के लिए भी रुचिकर है।  शहरों  के आधुनिक परिवेश में पले बड़े बच्चे आज पौधों की दुनिया से बहुत दूर है। माइक्रोग्रीन्स उगाना उनके लिए एक रोचक खेल  का रूप ले सकता है। प्रतिदिन कुछ मिनट देकर उनकी इस रोमांचक कार्य में धीरे-धीरे रुचि बढ़ेगी ।  
 
 
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