नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से दावा किया है कि कोरोना वायरस जानवरों से ही आया है। वैज्ञानिकों के अनुसार पैंगोलिन्स और चमगादड़ कोरोना के जन्मदाता हैं। हालांकि इसके कयास पहले भी लगाए जा रहे थे। कुछ समय बाद यह बात तो साबित हो गई कि सार्स कोरोना वायरस-2 का जीनोम काफी हद तक चमगादड़ में पाए जाने वाले कोरोना वायरस से मिलता है। हालांकि यह पूरा वैसा नहीं है। अब दावा किया जा रहा है कि यह दो वायरस से मिलकर बना है। कायमेरा और कायमेर उस वायरस को कहा जाता है जो दो वायरसों से मिलकर विकसित हुआ तीसरा वायरस होता है।
माना जा रहा है दो वायरस से मिलकर तीसरा कोरोना वायरस बना है। हालांकि अभी तक उस तीसरे जंतु की पहचान नहीं हो पाई है। लेकिन इस दिशा में एक्सपर्ट बहुत तेजी से काम कर रहे हैं। जबकि यह बात पूरी तरह साफ है कि यह वायरस किसी एनिमल में ही पनपा (Originate) हुआ है लेकिन यह इंसानों में संक्रमण फैलाने में बहुत अधिक प्रभावी है। कोरोना के काफी सारे लक्षण हैं, जो इसे एक बड़ी महामारी के रूप में फैलाने में मददगार हैं। जैसे कि कोरोना वायरस की ऊपरी सतह पर चारों तरफ स्पाइकी प्रोटीन्स का होना, जो इस वायरस को शरीर की कोशिकाओं के अंदर प्रवेश करने में मदद करते हैं।
इन स्पाइकी सेल्स के जरिए यह शरीर में पहुंचने के बाद आसानी से ऑर्गन सेल्स से खुद को अटैच कर लेता है। कोरोना वायरस तो पहले से अपना असर दिखाते रहे हैं। लेकिन सार्स कोरोना वायरस-2 की स्पाइकी प्रोटीन्स की खुद को ह्यूमन ऑर्गन से अटैच करने की क्षमता अन्य कोरोना वायरस की तुलना में कई गुना बेहतर है।
ज्यादातर रेस्पोरेट्री वायरस अपर या लोअर एयरवेज को इंफेक्ट करते हैं। लेकिन सार्स कोरोना वायरस-2 अपर और लोअर दोनों एयरवेज को इंफेक्ट करता है। इस वायरस के बारे में सबसे अधिक खतरनाक बात यह है कि यह वायरस लोगों में संक्रमण के लक्षण दिखाए बिना तेजी से दूसरे लोगों में फैलता है। इसी वजह से इससे संक्रमित व्यक्ति को शुरुआती स्तर पर पहचान पाना काफी मुश्किल होता है और अन्य लोगों में यह वायरस तेजी से फैलने लगता है।