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बायो-बबल में मानसिक रूप से खुद की देखभाल करने की आवश्यकता: विराट

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 3 2021 2:08PM | Updated Date: Dec 3 2021 2:21PM
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मुंबई। एक महीने के ब्रेक के बाद भारतीय टीम में वापसी करने वाले कप्तान विराट कोहली ने कहा है कि क्रिकेट के बायो-बबल वाले युग में मानसिक रूप से खुद की देखभाल करने की आवश्यकता है। विराट ने टी20 विश्व कप के बाद न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ खेले जाने वाली टी20 सीरीज़ और दो टेस्ट मैचों की श्रृंखला में पहले टेस्ट से विश्राम लेने का निर्णय लिया था। इस दौरान उन्होंने अपने बल्लेबाज़ी की तकनीक और खेल से जुड़े अन्य पहलुओं पर काफ़ी काम किया। कानपुर में जब भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच टेस्ट मैच चल रहा था तब विराट मुंबई में पूर्व बल्लेबाज़ी कोच संजय बांगर के साथ अपनी बल्लेबाज़ी पर काम कर रहे थे। वह पूरी तरह से तरोताज़ा होकर वापस आए हैं। क्रिकेट के बायो-बबल वाले युग में मानसिक रूप से खुद की देखभाल करने की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया। विराट ने मुंबई टेस्ट से एक दिन पहले बुधवार को कहा, "यह समझना बहुत जरूरी है कि मानसिक रूप से खुद को तरोताज़ा रखना महत्वपूर्ण है।
 
कप्तान ने कहा,"कोविड काल में जब से क्रिकेट में बायो बबल अनिवार्य हुआ है, तब से कई खिलाड़ियों ने इस बारे में बात की है कि बायो बबल में रह कर क्रिकेट खेलना कितना मुश्किल है। इस दौरान हमारे खिलाड़ियों और मैनेजमेंट की बीच में एक बढ़िया तालमेल विकसित हुआ है। हमने एक दूसरे के साथ वर्कलोड को कैसे मैनेज करना है और मानसिक स्वास्थ्य पर काफ़ी बातचीत की है।"
 
विराट ने कहा, "एक ऐसी जगह पर अभ्यास करना जहां आप एक बंधे हुए वातावरण में नहीं हैं या 50 कैमरे आपके आस-पास ना हो... ऐसा हम पहले कर सकते थे। ऐसी परिस्थिति में हम ऐसा समय निकालने में सक्षम रहते थे, जहां आप अपने गेम पर अकेले काम कर सकते थे। हम कुछ समय के लिए ऑफ़ ले सकते थे, ताकि हम अपने के बारे में सोच सके या खुद को समय दे सकें। इन सब चीज़ों से काफ़ी फ़र्क पड़ता है।"
उन्होंने कहा,"क्रिकेट की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए, क्रिकेटरों की क्षमता को अधिकतम करने के लिए, खिलाड़ियों को एक बेहतर जगह पर रखना, उन्हें स्पेस देना, जैसी चीज़ों पर विचार करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह न केवल हमारी टीम के लिए बल्कि विश्व के सभी खिलाड़ियों के लिए लागू होना चाहिए। दुनिया भर में खिलाड़ी अपने वर्कलोड को शारीरिक दृष्टिकोण से देखने के बजाय मानसिक दृष्टिकोण से मेनेज करने की सोच रहे हैं।"
 
विराट अब बिना शतक के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दो साल पूरे कर चुके हैं। इस अवधि में महामारी और उनके पितृत्व अवकाश (पैटरनिटी लीव)का भी ब्रेक शामिल है, लेकिन एक शतक बनाने के लिए कभी भी कोहली ने 12 टेस्ट और 15 एकदिवसीय मैचों का लंबा इंतज़ार नहीं किया है। उनसे पूछा गया कि इस सप्ताह के दौरान क्या उन्हें ऐसा लगा कि उन्हें कुछ ख़ास काम करने की जरूरत है? नहीं, कोहली ने कहा।
"यह सिर्फ लाल गेंद वाले क्रिकेट खेलने की लय में रहने के लिए था। यह सिर्फ़ दो क्रिकेट प्रारूपों के बीच स्विच करने के लिए एक निश्चित स्ट्रक्चर में आने के लिए था। मैंने अपने ब्रेक के दौरान यही प्रयास किया है कि एक फ़ॉर्मेट से दूसरे फ़ॉर्मेट में आने के लिए उसके प्रति अनुकुलित हुआ जाए। यह मेरी बल्लेबाज़ी पर काम करने के लिए नहीं था बल्कि मानसिक रूप से तैयार होने के बारे में था। आप जितना अधिक क्रिकेट खेलते हैं, आप अपने खेल को उतना ही अधिक समझते हैं। यह सिर्फ़ उस मूड में पहुंचने के बारे में है जिसे आप एक निश्चित प्रारूप में, एक निश्चित तरीके से खेलना चाहते हैं। यह विशुद्ध रूप से उसी पर आधारित था।"
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