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देश का पहला 'एल्कोहल म्यूज़ियम', पीकर ख़ुद की हिस्ट्री भूल जाएंगे लेकिन शराब की नहीं

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 18 2021 5:45PM | Updated Date: Oct 18 2021 5:45PM
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पणजी। पार्टी के शौक़ीनों के लिए गोवा किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां के बीच, फ़ूड और नाइट लाइफ़ पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण रहे हैं। अब इस लिस्ट में 'एल्कोहल म्यूज़ियम' का नाम भी शामिल हो गया है। जी हां, देश का पहला पूरी तरह शराब को समर्पित म्यूज़ियम गोवा में खोला गया है। इसका संग्रहालय का नाम 'ऑल अबाउट एल्कोहल' रखा गया है। कैंडोलिम गांव में स्थित संग्रहालय को प्राचीन वस्तुओं के संग्रहकर्ता, स्थानीय व्यवसायी नंदन कुडचडकर द्वारा शुरु किया गया। इसमें फ़ेनी से जुड़ी सैकड़ों कलाकृतियां हैं, जिनमें बड़े, पारंपरिक कांच के वत्स शामिल हैं, जिनमें स्थानीय काजू-आधारित शराब सदियों पहले संग्रहित की गई थी। इस संग्रहालय के ज़रिये से लोगों को गोवा की संस्कृति और अनोखे इतिहास की जानकारी दी जाएगी। यहां फ़ेनी की सदियों पुरानी बोतलें रखी गई हैं, कांच से बने बर्तन हैं, पुराने लकड़ी के डिस्पेंसर भी शामिल हैं। इनके ज़रिये लोग लोकल पॉपुलर ड्रिंक्स के इतिहास से परिचित हो सकेंगे।

कुडचडकर ने बताया कि इस म्यूज़ियम का मकसद दुनिया को गोवा की समृद्ध विरासत, विशेष रूप से फ़ेनी की कहानी बताना है। जिसे यहां काफ़ी पसंद किया जाता है। उन्होंने बताया कि जब पहली बार उनके दिमाग़ में ये कॉन्सेप्ट आया तो उन्होंंने सोचा कि क्या दुनिया में कहीं भी शराब का म्यूज़ियम है। मगर हैरानी है कि दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई म्यूज़ियम नहीं है, जहां आप शराब से संबंधित सामानों को देख सकें। उन्होनें कहा कि 'अगर आप स्कॉटलैंड जाते हैं, तो वहां के लोग अपने यहां की शराब को लेकर काफ़ी ख़ुश होते हैं। रूस के लोग भी अपने यहां की शराब को लेकर उत्साही हैं। वहीं, भारत में हम शराब को अलग तरह से पेश करते हैं। ऐसे में मैंने शराब को समर्पित भारत के पहले संग्राहलय को खोलने का फ़ैसला किया।'
 
वहीं, एल्कोहल संग्रहालय के सीईओ अर्मांदो डुआर्टे ने कहा कि 'शराब गोवा वासियों की मेहमान नवाज़ी का प्रतीक रही है। साल 2016 में सरकार ने फ़ेनी को 'हेरिटेज ड्रिंक' घोषित किया था। ये ज़रूरी भी है क्योंकि कई संस्कृतियों ने अपने सांस्कृतिक पेय जैसे शैंपेन और वोदका को अपनाया है। म्यूज़ियम के अंदर चार कमरों में एग्जीबीशन के लिए पुराने मिट्टी के बर्तन रखे गए हैं। 16 वीं शताब्दी के माप उपकरण भी हैं, जो फ़ेनी देते समय इस्तेमाल किए जाते थे। इसके अलावा एक प्राचीन लकड़ी का शॉट डिस्पेंसर भी मौजूद है। लोगों के लिए ये संग्रहालय दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
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