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लॉकडाउन के कारण अधिकांश दिल्लीवालों ने दिया ‘सच्चे रिश्तों’ को महत्व

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 15 2021 5:35PM | Updated Date: Oct 15 2021 5:46PM
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नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी ने एक सामाजिक संकट को जन्म दिया है। आइसोलेशन में रहने का असर आज पूरे समाज पर पड़ रहा है, जिसके चलते लोग अकेलापन और चिंता महसूस करने लगे हैं। ऐसे समय में लोग सहयोग के लिए अपने सबसे भरोसेमंद सर्कल पर भरोसा करते हैं। 
 
महामारी के चलते इन सर्कलों पर क्या प्रभाव पड़ा है, इसे जानने के लिए माइगेट ने एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण ‘ट्रस्ट सर्कल’ किय जिसमें यह पता चला है कि तकरीबन 92 फीसदी दिल्लीवासियों को तनाव एवं चिंता से निपटने के लिए वास्तविक संबंध (आपसी रिश्ते) बनाने की ज़रूरत है। जबकि मुंबई में यह आंकड़ा 79.03 फीसदी, कोलकाता में 73.39 फीसदी और चेन्नई में 59.43 फीसदी रहा। 
 
देश भर में सभी आयु वर्गों पर इसका गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा है (80 फीसदी से अधिक)। हालांकि आधुनिक पीढ़ी और महिलाओं पर इसका असर 90-90  फीसदी असर हुआ है। रोचक तथ्य यह है कि इस मुश्किल समय में पड़ोसियों का सहयोग खासतौर पर महत्वपर्ण रहा। कोविड से पहले की तुलना में 80.24 फीसदी दिल्लीवासी अब अपने ‘ट्रस्ट सर्कल’ में अपने पड़ोसियों को शामिल करना चाहते हैं। इन्होंने बताया कि वे इस मुश्किल समय में स्थानीय विक्रेताओं और सपोर्ट स्टाफ (वॉचमैन, डिलीवरी ब्वॉय और हाउसमेड) पर अधिक निर्भर थे। 
 
रिपोर्ट में बताया गया है कि रोज़मर्रा में किसी  भी तरह की मदद या जानकारी के लिए पड़ोसी (43.15 फीसदी) सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण थे, वहीं लोग टेक्नोलॉजी (221.8 फीसदी), रिश्तेदारों (18.95 फीसदी) और नज़दीकी मित्रों (16.94 फीसदी) से भी सहयोग एवं जानकारी प्राप्त कर रहे थे। चेन्नई, मुंबई और कोलकाता जैसे महानगरों के विपरीत दिल्ली के निवासी आस-पास किसी नई सोसाइटी में शिफ्ट करने के लिए अपने पड़ौसियों पर ज़्यादा निर्भर थे। 
 
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्लीवासी अपने पड़ोसियों के साथ गहरे रिश्ते बनाना चाहते हैं, सिर्फ 46.78 फीसदी दिल्लीवासी ही सेवा प्रदाताओं जैसे इलेक्ट्रिशियन, प्लम्बर आदि के वेरिफिकेशन के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हैं जबकि शेष 53.23 फीसदी लोग अपने पड़ोसियों के सुझाव के द्वारा उन सेवा प्रदाताओं को अपनाते हैं, जो उनकी बिंिल्डग/ घर में कई सालों से आ रहा हो। 
 
अध्ययन के अनुसार, अन्य महानगरों की तुलना में दिल्लीवासियों में अपने सपोर्ट स्टाफ के प्रति ज़्यादा सहानुभुति है। तकरीबन 75 फीसदी उत्तरदाताओं ने बताया कि उन्होंने महामारी के दौरान अपने सपोर्ट स्टाफ को पूरा या आंशिक वेतन देकर उनकी मदद की। जबकि चेन्नई में यह संख्या 10.44 फीसदी, मुंबई में 28.23 फीसदी और कोलकाता में 30.65 फीसदी थी। माइगेट ट्रस्ट सर्कल में अहमदाबाद, बैंगलुरू, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, कोच्चि, कोलकाता, मुंबई, पुणे से सभी आयुवर्गों के 2867 भारतीयों को कवर किया गया है। इस अध्ययन के द्वारा माइगेट ने अपने आस-पास के लिए लोगों के व्यवहार पर महामारी का प्रभाव समझने की कोशिश की है। 
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