नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में धार्मिक असंतुलन पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया है साथ ही कहा है कि राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर, धर्मांतरण और घुसपैठ रोकने के लिए ज़रूरी है।
कई बार देखने में आता है कि एक ही देश के दो राज्यो की पुलिस एक दूसरे पर गोलियां चला देती है। ऐसी राजनीति दुखद है। सत्ता में बैठे लोग भूल जाते हैं कि हमने देश चलाने के लिए संघीय ढांचा बनाया है, हम एक सम्पूर्ण राष्ट्र हैं। हमें इसके लिए प्रयास करने की जरूरत है कि इस तरह के मतभेदों को समाप्त किया जा सके।’’
उन्होंने इस मौके पर युवा पीढ़ी में बढ़ रही नशे की लत पर चिंता जताते हुए कहा ‘‘देश में तरह-तरह के नशीले पदार्थ आते हैं, उनकी आदतें लोगों में बढ़ रही हैं। उच्च स्तर से लेकर समाज के आखिरी व्यक्ति तक व्यसन पहुंच रहा है। हमें पता है कि इस नशे का पैसा कहां जा रहा है। इसे रोकना ज़रूरी है।’’ भागवत ने डिजिटल मुद्रा 'बिटकॉइन' पर सवाल उठाते हुए कहा ‘‘इस पर किसका नियंत्रण है, मुझे पता नहीं है। इस पर शासन को नियंत्रण करना होगा और वह उसका प्रयास भी कर रहा है। लेकिन हमें अपने स्तर पर इससे लड़ने के लिए तैयार होना होगा।’’ उन्होंने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाले आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर भी चिंता जाहिर की और इस पर नियंत्रण रखने की ज़रूरत पर बल दिया।
भागवत ने कहा कि हिन्दू मंदिरों का संचालन हिन्दू भक्तों के ही हाथों में रहे और हिन्दू मंदिरों की संपत्ति का विनियोग भगवान की पूजा के साथ हिन्दू समाज की सेवा और कल्याण के लिए ही हो, यह भी उचित और आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एकता में बड़ी समस्या जातिगत विषमता की रही है, जिसे खत्म करने के लिए तमाम प्रयास हुए हैं और करने ज़रूरी हैं।
इस मौके पर उन्होंने गुरु तेग बहादुर को भी याद किया और कहा ‘‘उनका बलिदान इस देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने के लिए ही था। उस समय देश में यह अभियान चल रहा था कि अपनी पूजा बदलो या तो मरो। तब कश्मीर के लोगों ने गुरु तेग बहादुर से गुहार लगाई। यह सुनकर गुरु तेग बहादुर दिल्ली चले गए और बलिदान दिया। उन्होंने भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए अपना सिर दिया, लेकिन देश का सार नहीं दिया। इसलिए वह हिंद की चादर कहलाए। वह इस देश की आकाशगंगा के सूर्य जैसे हैं।