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सरकार खत्म करेगी रेट्रोस्पेक्टिव विवादित टैक्स कानून, कैबिनेट से मिली मंजूरी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 5 2021 9:08PM | Updated Date: Aug 5 2021 10:20PM
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नई दिल्ली। सरकार विवाविद रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को खत्म करने जा रही है। केयर्न इंडिया टैक्स विवाद सरकार के लिए बीते कई सालों से मुसीबत का सबब बना हुआ है। जिस टेक्स को लेकर यह विवाद है सरकार उस टैक्स को ही खत्म करने जा रही है ताकि फिर ऐसा न हो सकें। रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का मतलब उस तरह के टैक्स से होता है जो कंपनियों से उनके पुराने हुए डील पर भी वसूला जाता है। इसे ऐसे समझिए कि मान लीजिए कि वोडाफोन पर टैक्स देनदानी साल 2007 से बनती है लेकिन यह टैक्स तबसे वसूला जाएगा जबसे कंपनी टैक्स के दायरे में आई है।
 
2012 के विवादित Retrospective टैक्स कानून के कारण केयर्न और वोडाफोन जैसी फर्मों ने मुकदमा दायर किया था। कैबिनेट ने 2012 के विवादास्पद कानून को पूर्ववत करने के लिए आज एक विधेयक को मंजूरी दी है। केंद्र भुगतान की गई राशि को बिना ब्याज के वापस करने के लिए तैयार है। भारत वोडाफोन के खिलाफ मुकदमा हार गया था और पिछले साल दिसंबर में एक अपील दायर की थी। 
 
पूर्वव्यापी कर प्रावधान को हटाने के लिए नए विधेयक पर राजस्व सचिव तरुण बजाज ने एनडीटीवी से कहा कि टैक्सेशन लॉ अमेंडमेंट बिल भारत को एक बेहतर इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के तौर पर तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। Retrospective इफेक्ट से टैक्स न लगाने से जुड़े इस नए बिल के पारित होने पर हमें टैक्स विभाग से जुड़े 17 टैक्स विवाद से जुड़े मामले सुलझाने में मदद मिलेगी। इनमें से चार टैक्स विवाद के मामलों में अब तक करीब 8000 करोड़ रुपए कलेक्ट किए गए हैं। इस बिल के पारित होने के बाद भारत सरकार की टोटल फाइनेंशियल लायबिलिटी करीब आठ हजार करोड़ की होगी।
 
प्रस्तावित कानून यह भी बताता है कि केंद्र 2012 के कानून के तहत भुगतान की गई राशि बिना ब्याज के वापस करने के लिए तैयार है। इस मामले के कारण केयर्न और वोडाफोन जैसी फर्मों ने अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मुकदमों का नेतृत्व किया था। सभी मुकदमों में भारत को हार का सामना करना पड़ा था।
 
दोनों निर्णयों में, नीदरलैंड में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने कहा कि भारत को "कथित कर देयता या किसी ब्याज और या दंड" की वसूली के लिए कोई और प्रयास नहीं करना चाहिए। भारत पिछले साल सितंबर में नीदरलैंड में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण में वोडाफोन के खिलाफ मामला हार गया था।
 
सरकार ने 2007 में हचिसन व्हामपोआ से वोडाफोन की 11 अरब डॉलर की भारतीय मोबाइल संपत्ति के अधिग्रहण से संबंधित  11,000 करोड़ की कर मांग की थी। कंपनी ने इसका विरोध किया था और मामला कोर्ट में चला गया था। ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया था कि वोडाफोन पर कर देयता, साथ ही ब्याज और दंड लगाने से भारत और नीदरलैंड के बीच एक निवेश संधि समझौते का उल्लंघन हुआ है।
 
न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि सरकार को कानूनी लागत के आंशिक मुआवजे के रूप में कंपनी को 40 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करना चाहिए। 2012 में, सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार प्रदाता के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन उस वर्ष बाद में सरकार ने नियमों को बदल दिया ताकि इसे कर सौदों में सक्षम बनाया जा सके जो पहले ही समाप्त हो चुके थे।
 
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