19 Apr 2024, 13:11:18 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
news » National

लोकसभा में एनसीआर वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग विधेयक पारित

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 4 2021 4:59PM | Updated Date: Aug 4 2021 4:59PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्षी सदस्यों के हंगामे एवं नारेबाजी के बीच राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता को सुधारने के मकसद से आयोग के गठन के प्रावधान वाला विधेयक आज पारित हो गया। इसके बाद सदन में शोरगुल, नारेबाजी एवं हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही साढ़े तीन बजे तक स्थगित कर दी गयी। दो बार के स्थगन के बाद दो बजे सदन के समवेत होने पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) और शिरोमणि अकाली दल समेत विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य हंगामा करते हुए अध्यक्ष के आसन तक पहुंच गये। सदस्यों के हाथों में किसानों के मुद्दे, पेगासस जासूसी और महंगाई से जुड़े भिन्न-भिन्न प्रकार के नारे लिखी तख्तियां मौजूद थीं।
 
पीठासीन सभापति राजेन्द्र अग्रवाल ने ने सदस्यों को अपनी सीट पर जाने का भी आग्रह किया, लेकिन वे नहीं माने और नारेबाजी करते रहे। अग्रवाल ने इसके बाद वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव का नाम पुकारा जिन्होंने राष्­ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं निकटवर्ती क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग विधेयक 2021 को सदन में विचार एवं पारित करने के लिए पेश किया। यादव ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता को नियंत्रित करने एवं प्रदूषण पर रोक लगाने के उपायों की जरूरत महसूस की जा रही थी। इस विधेयक के माध्यम से इसका एक संस्थागत उपाय किया जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि इस आयोग को पारदर्शी एवं सर्वसहभागी बनाने के लिए उसमें पर्यावरण विशेषज्ञों के अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र वाले राज्यों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है। उन्होंने इसे एक प्रभावी एवं परिणामकारी निकाय बताते हुए सभी सदस्यों से समर्थन की अपील की। इसके बाद पीठासीन सभापति अग्रवाल ने प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और विपक्ष की ओर से संशोधनों को नामंजूर किये जाने के बाद विधेयक को पारित किया गया। इस दौरान सदन में शोरशराबा जारी रहने पर अग्रवाल ने विधेयक के पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही साढ़े तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
 
इस विधेयक को 30 जुलाई को लोकसभा में पेश किया गया था। इसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) तथा निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं के बेहतर समन्वय, अनुसंधान, उन्हें पहचानने और उनका हल करने के लिए आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। निकटवर्ती इलाकों में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों के क्षेत्र और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी तथा एनसीआर के क्षेत्र आते हैं जहां प्रदूषण का कोई स्रोत एनसीआर की वायु गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है। विधेयक 1998 में एनसीआर में स्थापित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण प्राधिकरण को भंग करता है। आयोग के गठन के मकसद से अक्टूबर 2020 में एक अध्यादेश जारी किया गया था जो मार्च में निरस्त हो गया था और फिर अप्रैल 2021 में पुन: जारी किया गया था।
 
विधेयक 2021 के अध्यादेश को रद्द करता है। आयोग के कामकाज में संबंधित राज्य सरकारों (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश) के कार्यों के बीच समन्वय स्थापित करना, एनसीआर में वायु प्रदूषण की रोकथाम और उसे नियंत्रित करने की योजनाएं बनाना और उन्हें अमल में लाना, वायु प्रदूषकों को चिन्हित करने के लिए फ्रेमवर्क प्रदान करना, तकनीकी संस्थानों के साथ नेटवर्किंग के जरिए अनुसंधान और विकास करना, वायु प्रदूषण से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाना और उसका प्रशिक्षण, और विभिन्न कार्य योजनाएं तैयार करना, जैसे पौधे लगाना और पराली जलाने के मामलों पर ध्यान दिलाना, शामिल है।
 
आयोग के अधिकारों में वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाली गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना, वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण की जांच और तहकीकात करना, वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण हेतु संहिताएं और दिशानिर्देश तैयार करना, और व्यक्तियों एवं संस्थाओं के लिए मुद्दों और नियमों, जिसमें निरीक्षण भी शामिल है, पर निर्देश जारी करना, शामिल है जो उनके लिए बाध्यकारी होंगे। वायु गुणवत्ता प्रबंधन के मामलों की एकमात्र प्राधिकार होगा। किसी मतभेद की स्थिति में संबंधित राज्य सरकारों, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), राज्य पीसीबीजÞ और राज्य स्तरीय वैधानिक निकायों के आदेशों के स्थान पर आयोग के आदेश या निर्देश लागू होंगे।
 
आयोग को निरीक्षण और पहचान, सुरक्षा एवं प्रवर्तन तथा अनुसंधान एवं विकास के लिए उप समितियां बनानी होंगी। विधेयक के प्रावधानों या आयोग के आदेशों अथवा निर्देशों का उल्लंघन करने पर पांच वर्ष तक की कैद या एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना, या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। विधेयक ने किसानों को इस जुर्माने के दायरे से बाहर रखा है। हालांकि आयोग पराली जलने से होने वाले प्रदूषण पर किसानों से मुआवजा वसूल सकता है। केंद्र सरकार इस पर्यावरणीय मुआवजे को तय करेगी। आयोग के सभी आदेशों के खिलाफ अपील की सुनवाई राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण द्वारा की जाएगी।
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »