आइजोल। असम-मिजोरम सीमा के बाद वहां के लोगों की जिंदगी पर क्या असर पड़ा है। न्यूज़18 इंडिया ने ग्राउंड पर जाकर जाना कि आखिरकार वहां लोगों की जिंदगी कैसे चल रही है। इस हाइवे को मिजोरम की लाइफ लाइन भी कहा जाता है। जितना भी जरूरी सामान मिजोरम में इस्तेमाल होता है वह इसी हाइवे से आता है। असम-मिजोरम विवाद जब से शुरू हुआ है इस हाइवे पर गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरीके से बंद हो गई है, लिहाजा लोगों की जिंदगी भी पूरी तरह से ठप पड़ गई है।
सीमा विवाद शुरू होने के बाद जब कुछ दिनों पहले असम और मिजोरम के चीफ सेक्रेटरी गृह मंत्रालय में अपनी रिपोर्ट पेश करने आए थे, तो उन्होंने इस हाइवे पर सामान्य स्थिति बहाल करने को लेकर अपनी सहमति जताई थी, लेकिन फिलहाल इस महत्वपूर्ण हाइवे पर वीरानी छाई हुई है। दरअसल मिजोरम-असम सीमा पर कुछ सामाजिक संगठनों ने ट्रकों के घुसने पर पाबंदी लगा दी है, लिहाजा मिजोरम में रह रहे लोगों का आरोप है कि जरूरी वस्तुओं की सप्लाई कहीं से राज्य में नहीं आ रही है।
मिजोरम के चिंगपुई इलाके में रहने वाली महिलाएं, जो गैस सप्लाई के काम से जुड़ी हुई हैं। इनका कहना है कि जब से बॉर्डर पर तनातनी हुई है इनका ड्राइवर नहीं आ पाया है और इसी तरीके से गैस सिलेंडर का एक लॉट पिछले 1 हफ्ते से उनके घर के सामने खड़ा है, जिससे उनका पूरा काम ठप पड़ गया है।
मिजोरम में यही एकमात्र हाइवे ऐसा है जिससे जरूरी सामान की आपूर्ति तो राज्य में होती ही है, साथ ही इस हाइवे के आसपास रह रहे लोगों का व्यापार भी चलता है। खासकर बांस से जुड़े काम के लोगों की जीविका इसी हाइवे की आवाजाही पर टिकी हुई है, लेकिन सीमा पर तनाव से वीरान पड़ चुके हाइवे की वजह से उन्हें दो जून की रोटी तक के लाले पड़ गए हैं।
स्थानीय नागरिक जो कि नेशनल हाइवे 306 के किनारे रह रहे हैं, उन्हें हाइवे बंद होने की वजह से बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि जब लोग नहीं आएंगे तो उनका जीवन कैसे चलेगा? दरसल असम और मिजोरम के मुख्यमंत्री के बीच सोमवार को भी वार्ता का एक दौर हुआ था और हालात सामान्य करने पर सहमति बनी थी, लेकिन उन समझौतों की बातों को जमीन पर अमल करना और आम लोगों की जिंदगी कैसे पटरी पर आए… इस सीमा विवाद के बाद ये फिलहाल दोनों राज्यों के सामने बड़ी चुनौती है।