नई दिल्ली। भारत बायोटेक को अपने कोरोना वायरस वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) की कुल बिक्री पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को 5 फीसदी रॉयल्टी का भुगतान करना होगा। अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा संयुक्त रूप से विकसित कोवैक्सीन का उपयोग बौद्धिक संपदा के तहत नियंत्रित है। यही वजह है कि आईसीएमआर को रॉयल्टी का भुगतान किया जाना है।
द हिंदू को भेजे गए एक ईमेल जवाब में ICMR के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने लिखा है कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को आईसीएमआर और भारत बायोटेक के बीच एक औपचारिक समझौते (MoU) के तहत अंजाम दिया गया है। इसमें कुल बिक्री पर ICMR के लिए रॉयल्टी का एक प्रावधान भी है।
साथ ही कहा गया है कि देश में प्राथमिकता के आधार पर सप्लाई को लेकर अन्य प्रावधान भी हैं। इसके साथ ही प्रोडक्ट की IP भी साझा की गई है। इस बात पर भी सहमति है कि ICMR और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) का नाम वैक्सीन के बॉक्स पर प्रिंट किया जाएगा, जैसा कि अभी हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अगर 35 करोड़ के निवेश पर आईसीएमआर को 5 फीसदी की रॉयल्टी मिलती है तो क्या सरकार यह सत्यापित कर सकती है कि भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के विकास में 650 से ज्यादा का निवेश किया है?
विशेषज्ञों का मानना है कि ICMR और भारत बायोटेक के बीच रॉयल्टी को लेकर हुए समझौते ने सवाल खड़े किए हैं। इसमें एक यह कि भुगतान छमाही आधार पर किया जाना है और भुगतान की गणना भी छमाही आधार पर होगी। ये भुगतान वैक्सीन की लागत में जोड़ा किया जाएगा और इससे वैक्सीन की कीमत पर असर पड़ेगा।