नई दिल्ली। दुनिया भर में कोरोना का कहर अभी भी जारी है। कोरोना वायरस पर रिसर्च जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। डेढ़ साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी दुनिया अभी कोरोना की गिरफ्त से छूट नहीं पाई है। अब ये साफ हो गया है कि कोरोना वायरस बदलते रहता है, और एक नया वेरिएन्ट सामने आ जाता है जो शायद कोविड-19 के पहले स्ट्रेन से ज्यादा तेज फैलता है। इस दौरान भारत समेत पूरे विश्व ने कोरोना के अलग अलग स्वरूपों और उसके गंभीर परिणामों को देखा है। अभी भी अलग अलग देशों में कोरोना वायरस के नए नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं। 2020 में कैलिफोर्निया में पाया जाने वाला कोविड का एप्सिलॉन स्ट्रेन अब एक बार फिर से लोगों को संक्रमित कर रहा है। हाल ही में पाकिस्तान में इस स्ट्रेन ने तेजी पकड़ी है और संक्रमण के कई मामले सामने आ चुके हैं।
लाहौर में एप्सिलॉन वेरिएंट के पांच नए मामलों ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। कहा जा रहा है कि एप्सिलॉन वेरिएंट न्यूयॉर्क में दूसरा सबसे घातक कोरोना का संस्करण था जो कि कोवैक्सीन प्रतिरोधी था और यह डेल्टा वेरिएंट के लगभग समान ही तेजी से बढ़ता है। पूरी दुनिया ने अप्रैल और मई महीने में भारत में सामने आए डेल्टा वेरिएंट के विनाशकारी प्रभावों को देखा है। यह दूसरी लहर में सामने आया और इसने कोरोना वायरस के घातक परिणामों को सबसे सामने रखा। अब जब कोरोना का एप्सिलॉन वेरिएंट में मामले दक्षिण एशिया दर्ज किए गए हैं तो अब इसके बारे में लोगों के मन में काफी सवाल उठ रहे हैं।
कैलिफोर्निया में मिला था सबसे पहले
एप्सिलॉन वेरिएंट – जिसे CAL।20C के रूप में भी जाना जाता है – पहली बार कैलिफोर्निया में खोजा गया था। यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (सीडीसी) इससे सचेत रहने को भी कहा है। यह वायरस अमेरिका समेत कुल 34 देशो में पाया गया है। लेकिन अभी यह ज्यादा व्यापक स्तर पर नहीं है। फरवरी 2021 में अमेरिका में वायरस के कुल मामलों में इसकी उपस्थित 15 प्रतिशत थी।
वैक्सीन प्रतिरोधी है एप्सिलॉन
यह इसलिए ज्यादा घातक हो जाता है क्योंकि यह वेरिएंट वैक्सीन प्रतिरोधी है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक अध्ययन में पाया गया कि वेरिएंट टीकों के लिए अधिक प्रतिरोधी है। 1 जुलाई को पीयर-रिव्यू जर्नल साइंस में प्रकाशित, अध्ययन में कहा गया है कि एप्सिलॉन स्ट्रेन “लैब-निर्मित एंटीबॉडी से पूरी तरह से बच सकता है और टीकाकरण वाले लोगों के प्लाज्मा में उत्पन्न एंटीबॉडी की प्रभावशीलता को कम कर सकता है।
ज्यादा तेजी से होता है ट्रांसमिट
अभी तक कोरोना वायरस के जितने भी स्ट्रेन सामने आए हैं उनमें ये स्ट्रेन ज्यादा तेजी से लोगों में ट्रांसमिट होता है। इस वजह से बेहद कम समय में अधिक से अधिक लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह दूसरे स्ट्रेन से 20 प्रतिशत अधिक तेजी से फैलता है।