नई दिल्ली। देश में कोविड़ संक्रमण के प्रकोप के बीच वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने कहा कि कोरोना वायरस की तीसरी लहर निश्चित रूप से आ रही है। उन्होंने कहा कि लेकिन यह अनुमान लगाना काफी कठिन है कि यह कब आएगी। मांडे ने कहा कि वैक्सीनेशन और मास्क पहनने से निश्चित रूप से तीसरी लहर की तीव्रता को सीमित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वायरस का डेल्टा प्लस वेरिएंट चिंता का विषय नहीं है, बस सजग और सचेत रहने की जरूरत है। महानिदेशक मांडे ने कहा कि डेल्टा संस्करण खराब है, लेकिन डेल्टा प्लस के बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की अगली लहर आने की पूरी संभावना है। मांडे ने कहा कि यह वायरस कब और किस तरह से आएगा, इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में एक सुरक्षित दृष्टिकोण अपनाना होगा। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि यह वायरस के नए म्यूटेंट या कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने में आम जनता की ढिलाई के कारण ही तीसरी लहर आ सकती है। उन्होंने कहा कि यूरोप और अमेरिका ने अगली लहर देखी है
CSIR प्रमुख ने देश के लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन काम कर रही है। इससे काफी फायदा मिल रहा है। फिलहाल तीसरी लहर के लिए इसे ही एक मात्र हथियार माना जा रहा है। मांडे ने कहा कि सभी लोगों को जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए, ताकि तीसरी लहर का सामना करने में आसानी हो। उन्होंने कहा कि वैक्सीन को लेकर कोरोनोवायरस की जीनोमिक निगरानी अगले तीन वर्षों तक जारी रहेगी। WHO के महामारी घोषित किए जाने के पंद्रह दिन पहले हमने कोरोना वायरस पर विचार-विमर्श शुरू किया और स्थिति को समझने की कोशिश की है। इसमें सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के विशेषज्ञों को शामिल किया गया था। उन्होंने कहा कि हमने जीनोमिक, सीरो और सीवेज निगरानी की थी। हमने डायग्नोस्टिक किट और परीक्षण विधियों को विकसित किया है, जिसमें ड्राई स्वैब विधि भी शामिल है।