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भारत ने 5जी परीक्षण से चीनी कंपनियों को रखा दूर, अमेरिकी सांसद खुश

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 6 2021 5:26PM | Updated Date: May 6 2021 5:26PM
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नई दिल्‍ली। भारत सरकार ने दूरसंचार उपकरण विनिर्माता कंपनियों- एरिक्सन, नोकिया, सैमसंग और सी-डॉट को दूरसंचार कंपनियों के साथ मिलकर 5जी परीक्षण करने की मंजूरी दी है। चीनी कंपनियों के दूर रहने का अमेरिकी सांसदों ने स्वागत किया है। अमेरिका के शीर्ष सांसदों ने चीनी दूरसंचार कंपनियों को भारत में 5जी परीक्षण करने की अनुमति नहीं देने के भारत के फैसले की सराहना की है। परीक्षण में शामिल कंपनियां चीनी कंपनी की प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। दूरसंचार विभाग ने रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन और एमटीएनएल के आवेदनों को इसके लिए मंजूरी दी है। इनमें से कोई भी कंपनी चीनी कंपनियों की तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर रही है।
 
चीनी तकनीक को 5जी ट्रायल से दूर रखने के फैसले का अमेरिकी सांसदों ने स्वागत किया है। हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी लीड रिपब्लिकन और चाइना टास्क फोर्स के चेयरमैन माइकल मैककॉल के मुताबिक, "हुवावेई और जेडटीई को 5जी ट्रायल से बाहर करने का भारत का फैसला भारत और दुनिया के लोगों के लिए अच्छी खबर है।" उन्होंने कहा चीन में ऐसा कानून है कि अगर चीनी कंपनियों से कहा जाता है कि वे कम्युनिस्ट पार्टी के लिए काम करें तो वे इससे इनकार नहीं कर सकती। इससे पहले भारती एयरटेल और वोडाफोन ने चीन की हुवावेई कंपनी की तकनीक का इस्तेमाल कर परीक्षण करने का प्रस्ताव पेश किया था।
 
बाद में उन्होंने हालांकि अपने आवेदन में कहा कि 5जी परिक्षण में वह चीन की किसी कंपनी की तकनीक का उपयोग नहीं करेगी। अमेरिका अपने दोस्तों और सहयोगियों से लगातार कहता आया है कि किसी ऐसी तकनीक का चुनाव न करें जो चीन की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा नियंत्रित हो। कांग्रेस सांसद माइक वाल्ट्ज ने भी भारत के फैसले का स्वागत किया है। चीन की दोनों कंपनियां हुवावेई और जेडटीई अमेरिका में ब्लैकलिस्टेड हैं जबकि ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने सुरक्षा चिंता पर अमेरिकी दबाव के बाद हुवावेई को अपने यहां 5जी नेटवर्क के लिए ब्लॉक किया हुआ है। भारत और चीन के बीच हाल के सालों में तनाव बढ़ा है और 5जी ट्रायल में चीनी कंपनियों का शामिल नहीं होना भी इनमें से एक कारण माना जा रहा है। पिछले साल गलवान घाटी में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें चीन के चार और भारत के 20 सैनिक मारे गए थे।
 
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