बिजनेस डेस्क। पीएनबी घोटाले का मुख्य आरोपी और भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने अब ब्रिटेन के हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। प्रत्यर्पण रोकने के लिए उसने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है। इस मामले से जुड़े लोगों ने शनिवार को ये जानकारी दी है। नीरव मोदी ने लंदन की निचली अदालत के फैसले को ब्रिटेन के हाईकोर्ट में चुनौती देने की मांग की है।
नीरव मोदी की ये अपील 25 फरवरी को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश के खिलाफ है, जिसमें भारत के लिए उनके प्रत्यर्पण और यूके की गृह सचिव प्रीति पटेल द्वारा 15 अप्रैल को मंजूरी देने का निर्देश है। प्रीति पटेल ने नीरव मोदी को पंजाब नेशनल बैंक घोटाला मामले में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी पाए जाने के लगभग दो महीने बाद प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी।
नीरव मोदी की याचिका में भारत में उचित मुक़दमा नहीं चलने और राजनीतिक कारणों से उन्हें निशाना बनाने की चिंता जाहिर की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि भारत में जेलों की स्थिति खराब है और उसके खिलाफ सबूत कमजोर हैं।
नीरव मोदी पर अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक से 13 हजार करोड़ रुपए धोखाधड़ी करने का आरोप है। जनवरी 2018 को पीएनबी ने भारत में नीरव और उसके सहयोगियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी, लेकिन इससे पहले ही नीरव मोदी यहां से फरार हो गया।
क्या है PNB घोटाला
भारत के बैंकिंग इतिहास में सबसे बड़ी धोखाधड़ी है। इस घोटाले में मुंबई के फोर्ट में स्थित पीएनबी की ब्रैडी हाउस शाखा में बैंकरों ने फर्जी लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग्स (एलओयू) का इस्तेमाल किया। एक वर्ष की अवधि के लिए मोती के आयात के लिए भारतीय बैंकों की शाखाओं में इन एलओयू का उपयोग किया गया, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक के नियम के अनुसार शिपमेंट की तारीख से 90 दिनों तक की समयावधि ही निर्धारित है। बैंक अधिकारियों की सांठगांठ से वह एक साल तक इनका इस्तेमाल करता रहा।