लखनऊ। लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के सरकारी और निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग और पूर्ति पर अब आईआईएम, आईआईटी के दिग्गज निगाह रखेंगे। प्रदेश में ऑक्सीजन की की बर्बादी को रोकने के लिए योगी सरकार ने ऑक्सीजन आडिट कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए आईआईटी कानपुर, आईआईएम लखनऊ और आईआईटी बीएचयू के दिग्गजों को मॉनीटरिंग और ऑडिट की जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ में एकेटीयू, एचबीटीयू कानपुर और एमएमटीयू प्रयागराज के दिग्गज भी उनके साथ शामिल रहेंगे।
योगी ने रविवार को ऑक्सीजन आडिट को लेकर आईआईएम और आईआईटी के दिग्गजों के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पहली बैठक की। सीएम के निर्देश पर प्रदेश के अंदर कोरोना संक्रमण के दौरान उत्पन्न हुई ऑक्सीजन की समस्या से निपटने के लिए ऑक्सीजन मानिटरिंग सिस्टम फॉर यूपी’’ नामक डिजीटल प्लेटफार्म शुरू किया गया है। इसके जरिए प्रदेश में ऑक्सीजन की मांग और पूर्ति पर निगाह रखी जाएगी। इसके जरिए ट्रकों की भी रीयल टाइम मानिटरिंग हो रही है। तकनीक का उपयोग कर राज्य में ऑक्सीजन की कालाबाजारी को रोकने में बड़ी मदद मिलेगी।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकारी और निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की मांग और पूर्ति में पारदर्शिता लाने, जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन की आपूर्ति भी प्राथमिकता के आधार पर कराने में भी सहूलियत होगी। प्रदेश सरकार के इस नई तकनीक पर देश के दूसरे राज्यों ने भी अपनी रुचि दिखाई है। इससे कोरोना संक्रमण के दौरान उत्पनन हुई ऑक्सीजन की समस्या से निपटा जा सकेगा। साथ ही आकसीजन के इस्तेमाल में भी पारदर्शिता आएगी। प्रदेश सरकार ऑक्सीजन आडिट के जरिए ऑक्सीजन के बेवजह खर्च पर रोक लगाई जा सकेगी। आईआईएम, आईआईटी के दिग्गज सरकार और निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन के इस्तेमाल और उनकी मांग पर भी निगाह रखेंगे। अब अस्पताल मरीजों के हिसाब से ही ऑक्सीजन खर्च कर सकेंगे। अधिक ऑक्सीजन खर्च करने पर उनसे जवाब तलब भी किया जाएगा। ऑक्सीजन आडिट के जरिए अस्प्तालों में ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति पर लगातार निगरानी रखी जा सकेगी।