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नौसेना चीन की किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार : एडमिरल कर्मबीर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 3 2020 5:30PM | Updated Date: Dec 3 2020 5:31PM
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नयी दिल्ली। नौसेना प्रमुख एडमिरल कर्मबीर सिंह ने आज कहा कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदलने की कोशिश में है और थल सेना तथा वायु सेना के साथ तालमेल बनाते हुए नौसेना किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। एडमिरल कर्मबीर सिंह ने यह भी कहा कि नौसेना समुद्री क्षेत्र में विशेष रूप से चीन की ओर से किसी भी खतरे के प्रति पूरी तरह सचेत तथा निपटने के लिए तैयार है। 
नौसेना दिवस की पूर्व संध्या पर गुरूवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में नौसेना प्रमुख ने कहा कि देश को कोरोना महामारी और चीन द्वारा उत्तरी सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदलने की कोशिशों की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 
 
उन्होंने कहा कि नौसेना का टोही विमान पी- 8 आई और प्रिडेटर ड्रोन पूर्वी लद्दाख के क्षेत्र में निगरानी में सक्षम हैं। नौसेना निरंतर थल सेना और वायु सेना से तालमेल बनाये हुए हैं और उनकी जरूरतों के अनुसार कदम उठाने के लिए तैयार है। हालाकि नौसेना के विशेष कमांडो मार्कोस की पूर्वी लद्दाख में स्थित पेगोंग झील में तैनाती के बारे में उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। 
 
उन्होंने कहा कि प्रिडेडर ड्रोन से हमारी निगरानी क्षमता बढी है क्योंकि यह एक बारे में 24 घंटे तक नजर रखने में सक्षम है। जरूरत पड़ने पर पूर्वोत्तर क्षेत्र में भी इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के बीच पिछले छह महीने से भी अधिक समय से सैन्य गतिरोध चल रहा है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन से संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए नौसेना अपने बेड़े में पनडुब्बियों तथा मानव रहित यानों की संख्या बढाने पर ध्यान केन्द्रीत कर रही है। उन्होंने कहा कि मानव रहित यान ठोस और सस्ता विकल्प है। 
 
कोरोना महामारी के कारण संसाधनों और भविष्य की खरीद योजनाओं पर पड़ने वाले असर के बारे में उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के जरिये इस चुनौती से निपटा जा सकता है और नौसेना इस राह पर आगे बढते हुए 43 युद्धपोतों तथा पनडुब्बियों में से 41 को देश में ही बनाया जा रहा है। इसमें विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत भी शामिल है जिसके बेसिन स्तर के परीक्षण चल  रहे हैं तथा अगले वर्ष समुद्री परीक्षण चालू हो जायेंगे। 
 
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