नई दिल्ली। आतंकवाद को अपनी राष्ट्रीय नीति को तौर पर इस्तेमाल करने वाले देशों पर चिंता व्यक्त करते हुए उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन- एससीओ सदस्य देशों को आतंकियों को वित्तीय तथा सुरक्षित आश्रय देने वाले के बुनियादी ढ़ांचे का समूल नाश करना चाहिए। नायडू ने एससीओ सदस्य देशों की सरकारों के प्रमुखों की परिषद की 19वीं बैठक को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी भर्त्सना करता है. उन्होंने कहा,‘‘गैर सरकारी तत्वों से और आतंकवाद को अपनी राष्ट्रीय नीति के तौर पर इस्तेमाल करने वाले देशों की ओर से हम हमेशा चिंतित रहते हैं.
इस तरह का तरीका एस सी ओ के घोषणा पत्र की भावना के विपरीत है।’’ क्षेत्र और समाज की प्रगति के लिए शांति को आवश्यक तत्व करार देते हुए नायडू ने कहा कि एस सी ओ क्षेत्र की सबसे बड़ी और प्रमुख चुनौती आतंकवाद, विशेष तौर से सीमा पार से आतंकवाद है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद वास्तव में मानवता का शत्रु है . सब को एकजुट होकर इससे निपटना होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस खतरे से निपटने से सभी देश सतत विकास और आर्थिक वृद्धि का माहौल बनाने तथा अपनी पूरी क्षमताओं का इस्तेमाल कर पाएंगे।