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भारत में इसलिए तेजी से फैल रहा है कोरोना, वैज्ञानिकों ने बताया कारण

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 21 2020 5:03PM | Updated Date: Sep 21 2020 5:04PM
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नई दिल्‍ली। देश में कोरोना लगातार बेकाबू होता जा रहा है। भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या हर दिन लगभग 1 लाख के करीब पहुंच रही है। कोरोना वायरस का सबसे संक्रामक मॉडल A2a इस महामारी के तेजी से प्रसार के लिए जिम्मेदार है। कुछ ही दिनों में भारत में 70 प्रतिशत रोगियों ने कोरोना वायरस के दबाव को बढ़ा दिया है।

हैदराबाद में सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि A2a कोरोना वायरस का अधिक संक्रामक मॉडल है और भारत में 70 प्रतिशत से अधिक कोरोना पॉजिटिव रोगी A2a मॉडल से प्रभावित हैं। संक्रमण की गति एक चिंता का विषय बन गया है। इस कारण से कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है।

इससे पहले भारत में अधिकांश रोगी कोरोना वायरस के A3i स्ट्रेन से संक्रमित थे। लगभग 41 प्रतिशत रोगियों में A3i स्ट्रेन फुटप्रिंट पाया गया। देश के कोरोना पॉजिटिव मरीजों में भी यही तनाव देखा गया। लेकिन इसमें मौजूद RDRP नामक एंजाइम केवल वायरस के लिए घातक साबित हुआ और इस एंजाइम के कारण कोरोना A3i मॉडल की ट्रांसमिशन दर 41% से घटकर 18% हो गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कोरोना का A3i मॉडल धीरे-धीरे भारत से गायब हो जाएगा। A3i की जगह अब A2a ले रहा है। यह तेजी से फैलने वाला कोरोना स्ट्रेन है।

दुनिया में सबसे ज्‍यादा A2a संक्रमित : दुनिया भर में ज्यादातर कोरोना संक्रमित A2a स्ट्रेन से हैं और इस स्ट्रेन को ध्यान में रखते हुए टीके विकसित किए जा रहे हैं। भारत में वैज्ञानिकों के दिमाग पर पहला सवाल यह था कि क्या अगला टीका भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित होगा, क्योंकि एक समय में भारत में कोरोना A3i अधिक था, जबकि टीका को मुख्य रूप से A2a को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जाना चाहिए। लेकिन भारत में A2a फैल गया है।

A2a कोरोना वायरस A3i की तुलना में अधिक संक्रामक : CCMB के निदेशक, डॉक्‍टर राजेश कुमार मिश्रा के अनुसार, A2a से अधिक संक्रामक होने का संदेह है और इसने दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में भारत में अपने पंख फैलाए हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि यह अधिक कठिन तनाव है। लेकिन चूंकि पूरे विश्व में एक ही प्रकार का वायरस जीनोम मौजूद है। अच्छी बात यह है कि एक ही वैक्सीन और दवा इस उत्परिवर्तन के खिलाफ एक प्रभावी प्रभाव है।

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