नई दिल्ली। वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर के विवादास्पद बयान से लोकसभा में बना गतिरोध अध्यक्ष ओम बिरला एवं सदन के उपनेता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हस्तक्षेप से समाप्त हो गया। ठाकुर के खेद व्यक्त करने के बाद सदन की कार्यवाही शाम छह बजे सुचारु रूप से आरंभ हुई। चार बार के स्थगन के बाद शाम छह बजे सदन समवेत होने पर अध्यक्ष बिरला ने कहा कि संसद का मानसून सत्र असाधारण परिस्थितियों में आयोजित किया जा रहा है।
कोविड के संक्रमण के खतरे के बीच संवैधानिक दायित्व का बीते चार दिनों में जिस प्रकार से निर्वाह किया गया है, उसे सारे देश ने देखा है और सराहा है। सांसद एक व्यक्ति नहीं बल्कि संस्था होते हैं जो करीब 15 लाख की आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने आग्रह किया कि सदन की गरिमा एवं मर्यादा बनाये रखने के लिए तथ्यों के आधार पर चर्चा एवं वाद विवाद होता रहे लेकिन बिना तथ्यों के आरोप प्रत्यारोप से बचना चाहिए। सदन का जो भी समय बचा है, उसमें कार्यवाही सुचारु रूप से चलना चाहिए। संपूर्ण विश्व देखेगा कि इस वैश्विक संकट के समय भारत के लोकतंत्र की शक्ति क्या है। उन्होंने कहा कि उनकी नजर में सभी सदस्य बराबर हैं। यदि किसी को उनके किसी व्यवहार से कोई पीड़ा पहुंची है तो वह माफी मांगते हैं।
बिरला के वक्तव्य को सुन कर विपक्ष के सदस्य भी पिघल गये और कई वरिष्ठ सदस्यों ने बिरला के माफी मांगने की बात को स्वीकार नहीं किया। अध्यक्ष के कहने पर अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि उनका इरादा किसी को पीड़ा पहुंचाना नहीं था। यदि विपक्ष के किसी सदस्य को पीड़ा पहुंची है तो वह भी उस पीड़ा को अनुभव कर रहे हैं। इसके बाद राजनाथ सिंह ने अध्यक्ष से कहा कि इसमें दो मत नहीं है कि आपने बहुत कुशलता से सदन की कार्यवाही का संचालन किया है। आपने सदन के हर पक्ष के हर सदस्य का विश्वास हासिल किया है। आज के अवरोध के समाधान के लिए अध्यक्ष के चैंबर में हुई बैठक में देखा कि आप किस हद तक आहत थे। ठाकुर एक तेजतर्रार एवं युवा नेता हैं। उनके द्वारा यदि किसी को पीड़ा पहुंची है तो उन्होंने भी कहा है कि वह भी पीड़ा को अनुभव कर रहे हैं।
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अध्यक्ष की बात ने विपक्ष के सभी सदस्यों को दुखी कर दिया है। इस तरह की बातों से सभी को पीड़ा पहुंची है। लॉकडाउन में जब सभी सदस्य घरों में थे। तब बिरला दिल्ली में सदन के संचालन की तैयारियों के लिए मेहनत मशक्कत करते रहे। उन्होंने कहा कि यह परिस्थिति बहुत विकट है जब संक्रमण इतना फैल गया है। सरकार का काम देश चलाना है और हमारा काम सरकार को सहयोग देना है। हम सरकार का ध्यान बहुत सारी बातों की ओर आकृष्ट कराते हैं। यह सदन सब पक्षों के लिए बराबर है। हर पक्ष के सारे सदस्य अध्यक्ष के व्यवहार से खुश हैं। किसी को कोई शिकायत नहीं है। अध्यक्ष सदस्यों के लिए अभिभावक की तरह से होते हैं। हम सब सदन को चलाना चाहते हैं और चलाएंगे।
इसके बाद अध्यक्ष ने अनुदान अनुपूरक मांगों पर चर्चा शुरू कराने के लिए भारतीय जनता पार्टी के जयंत सिन्हा का नाम पुकारा। इससे पहले दिन में तीन बजे कार्यवाही शुरू होने के बाद जब सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के ‘कराधान और अन्य विधियां अधिनियम 2020’ चर्चा के लिए पेश करते हुए कुछ समय तक अपने विचार रखने के बाद वित्त राज्य मंत्री ठाकुर को विधेयक के मुख्य बिंदुओं को लेकर सदन को जानकारी देने को कहा। ठाकुर ने बातों ही बातों में पीएम केयर्स का उल्लेख आने पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष का भी जिक्र किया और आरोप लगाया कि यह कोष सिर्फ एक परिवार के हित के लिए बनाया गया है। इसको लेकर कांग्रेस के सदस्य उत्तेजित हो गये और हंगामा करने लगे। इस हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिन में आधे आधे घंटे के लिए चार बार स्थगित हुई। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सत्ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘अगर आप लोग सदन नहीं चलाना चाहते हैं तो नहीं चलायें। लेकिन हमारे ऊपर अत्याचार क्यों किया जा रहा है। सत्ता का बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है।’’