नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने ऑर्थोपेडिक चिकित्सकों से कूल्हे एवं घुटने की समस्याओं की रोकथाम एवं उनके समाधान के बारे में आम लोगों को जागरूक करने की अपील करते हुए कहा कि हमारे देश में बुजुर्गों में हड्डियों एवं जोडों की समस्याएं काफी व्यापक हैं। राष्ट्रीय बोन एवं ज्वाइंट दिवस पर दिल्ली आर्थोपेडिक एसोसिएशन की ओर से मंगलवार को आयोजित वेबिनार के लिए भेजे गए संदेश में डॉ हर्षवर्धन ने कोविड महामारी के दौरान लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाने के लिए दिल्ली आर्थोपेडिक एसोसिएशन के प्रयासों की सराहना की।
चार अगस्त को मनाए जाने वाले बोन एवं ज्वांइट दिवस के सिलसिले में दिल्ली आर्थोपेडिक एसोसिएशन ने इंडियन आर्थोपेडिक एसोसिएशन के साथ मिलकर एक सप्ताह तक आर्थोपेडिक रोगों की रोकथाम को लेकर जागरूकता अभियान चलाया। इस सिलसिले में आज आयोजित वेबिनार में राजधानी के आर्थोपेडिक विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य कर्मियों से कोविड झ्र 19 को ध्यान में रखते हुए अपने कौशल में सुधार करते रहने की सलाह दी क्योंकि इस महामारी के नियंत्रण में आ जाने के बाद अन्य बीमारियों के मरीज काफी अधिक संख्या में इलाज के लिए अस्पताल आएंगे और ऐसे में इतने सारे मरीजों का इलाज करना चुनौतीपूर्ण होगा।
दिल्ली ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सचिव और सफदरजंग अस्पताल के स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर के प्रोफेसर डॉ हितेश लाल ने कहा कि कोविड झ्र 19 की वर्तमान महामारी के दौरान क्रोनिक डिजेनरेटिव आर्थराइटिस के मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण उनकी बीमारियां एवं विकलांगता बढ़ रही हैं। आर्थोपेडिक सर्जनों की मुख्य चुनौती आर्थोपेडिक मरीजों की बीमारियों, विकलांगताओं एवं चोटों का समय पर इलाज करने की है।
वर्तमान कोविड महामारी के कारण जिन मरीजों को तत्काल सर्जरी कराने की जरूरत है उनकी सर्जरी भी टाली जा रही है और उनकी समस्या के समाधान के लिए यथासंभव बिना सर्जरी वाले उपायों से इलाज करने की सलाह दी जा रही है लेकिन जब कोविड की महामारी नियंत्रण में आ जाएगी तो इन मरीजों की सर्जरी करने की जरूरत पड़ेगी और ऐसे मरीजों की संख्या बहुत अधिक होगी। दिल्ली ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. शरद के अग्रवाल ने कहा कि हालांकि कोविड -19 महामारी के कारण आर्थोपेडिक सर्जरी को टालना जरूरी हो गया है लेकिन आने वाले समय में ऑर्थोपेडिक सर्जनों के लिए चुनौतियाँ बहुत बड़ी होंगी, जिसके लिए उन्हें अभी से तैयार रहना होगा।
आने वाले समय में उन्हें अधिक विकलांगता एवं जटिलता वाले मरीजों का इलाज करना होगा क्योंकि समय पर इलाज नहीं मिल पाने अथवा समय पर सर्जरी नहीं हो पाने के कारण इन मरीजों की विकलांगता एवं जटिलताएं काफी बढ़ जाएगी। कोविड -19 की महामारी के दौरान लोगों के लिए आवश्यक है कि महामारी की चपेट में आने से बचने के लिए सभी एहतियात बरतें तथा सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करें। हालांकि आर्थोपेडिक समस्याएं एवं बीमारियां कष्टदायक होती हैं और उनके कारण चलनाझ्रफिरना मुश्किल हो जाता है लेकिन ये बीमारियां आम तौर पर जानलेवा नहीं होती है ।
अनेक अस्पतालों ने कोरोना संक्रमण के प्रकोप में बढोतरी को देखते हुए आर्थोपेडिक सर्जरी को टाल दिया है। डॉक्टरों ने गठिया से पीड़ति लोगों को उन गतिविधियों से बचने की सलाह दी है जिनसे दर्द एवं सूजन बढ़ती है। उन्हें अपनी गतिविधियों में बदलाव लाने तथा दर्द तथा सूजन को नियंत्रित करने के लिए अपने चिकित्सक के परामर्श से नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) लेने की सलाह दी है। उन्होंने आर्थराइटिस प्रभावित जोड़ों की सिंकाई करने,सीढियां चढ़ने तथा अधिक वजन उठाने से बचने की सलाह दी है।