अयोध्या। कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती महाराज ने कहा कि अयोध्या और कांचीपुरम् के सम्बन्ध युगों से हैं। अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास, भूमि पूजन के अवसर पर यहां कांची मठ प्रमोद वन से ई-बुक का आनलाइन लोकार्पण करने के बाद वेबीनार के जरिये पत्रकारों से बातचीत में कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या और कांचीपुरम् के संबंध बहुत पुराने हैं। महाराजा दशरथ उस समय कांचीपुरम् आये थे जब उनके पुत्र नहीं हो रहे थे।
उन्होंने कांचीपुरम् में आकर कामाक्षी देवी का दर्शन किया और फिर अयोध्या वापस गये तो उनके चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न हुये। उन्होंने कहा कि ई-बुक के माध्यम से धार्मिक, सांस्कृतिक संबंधों को लोग जान सके कि अयोध्या व कांचीपुरम् के बीच युगों-युगों से चला आ रहा है। यह दोनों पुण्य क्षेत्र सप्तमोक्ष पुरियों में है। कांचीपुरम् कामकोटि पीठ के शंकराचार्य रहे चन्द्रशेखर सरस्वती एवं शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती ने अयोध्या रामजन्मभूमि मुक्ति के संदर्भ में अहम् भूमिका निभायी है।
कांची कामकोटि पीठम् से भूमि पूजन के लिये विशेष सामग्रियों को भेजा गया है। शंकराचार्य ने बताया भगवान श्रीराम ने धर्म की स्थापना के लिये धर्म के संरक्षण के लिए लोगों की रक्षा के लिये, दुष्टों के दमन के लिए अवतार लिया। भगवान राम ने अपने कर्तव्यों का पालन शास्त्रों के अनुसार किया। लोग उनके चरित्र को अपने जीवन में उतारें।