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माकपा ने CBSE के पाठ्यक्रम को कम किये जाने पर की आलोचना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 11 2020 6:55PM | Updated Date: Jul 11 2020 6:55PM
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नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कोरोना संकट के कारण केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पाठ्यक्रम  को कम करने के क्रम में नागरिकता धर्मनिरपेक्षता और संघवाद जैसे अध्याय को हटाए जाने तथा विश्वविद्यालयों कॉलेजों की परीक्षा ऑनलाइन किए जाने की कड़ी आलोचना की है। माकपा पोलित ब्यूरो की ओर से शनिवार को यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार  पार्टी ने  सीबीएसई द्वारा नागरिकता तथा धर्मनिरपेक्षता को हटाए जाने को संविधान विरोधी बताया है क्योंकि संविधान में इन तीनों विषयों का जिक्र किया गया है।
 
पार्टी का कहना है कि पाठ्यक्रम कटौती के नाम पर इस तरह कदम उठाए जाना उचित नहीं है और सीबीएसई ने इस संबंध में  जो तर्क दिया है , उसका कोई औचित्य नहीं है । पार्टी ने यह भी कहा है कि कोरोना संकट में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा ओपन बुक /ऑनलाइन लेने के लिए आमादा है जबकि हकीकत यह है कि देश में केवल 36 प्रतिशत इलाकों में नेट  की सुविधा है और देश के दूरदराज इलाकों में नेट की पर्याप्त सुविधा नहीं है। इसके अलावा वंचित समुदाय के छात्रों के पास यह सुविधा नहीं है।
 
पार्टी ने भी कहा है कि देश में डिजिटल विभेद को देखते हुए ऑनलाइन परीक्षा लेना संभव नहीं है इसीलिए यूजीसी तत्काल अपने इस फैसले को रद्द करें । माकपा के अनुसार शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में है इसीलिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अपने मन से कोई ऐसा फैसला नहीं दे सकता जो राज्यों  पर लागू हो इसलिए ऑनलाइन ओपन बुक की परीक्षा प्रणाली जल्दी ही बंद होनी चाहिए।
 
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