नई दिल्ली। दुनिया के किसी भी देश के पास कोरोना वायरस से लड़ने का कोई कारगर हथियार नहीं है। सभी देश अपने-अपने अनुसार, कोरोना की लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि भारत में भी कोरोना के मरीजों को कई दवाओं से ठीक करने की बात कहीं जा रही है। ऐसे में सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसने COVID-19 रोगियों के इलाज में आपातकालीन उपयोग के लिए गिलियड साइंसेज इंक की एंटीवायरल ड्रग रेमडेसिवीर को मंजूरी दे दी है।
क्लिनिकल ट्रायल के परीक्षणों में COVID-19 रोगियों में रेमेडिसविर पहली दवा है, जिससे सुधार देखा गया है। इसे पिछले महीने अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए अधिकृत किया गया था और जापानी स्वास्थ्य नियामकों द्वारा भी इसे मंजूरी मिल गई है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने एक ईमेल बयान में कहा, '(रेमेडिसवीर) को आपातकालीन उपयोग के तहत 1 जून को मंजूरी दी गई, इसकी पांच खुराक कोरोना वायरस के मरीजों की दी जा सकती है।'
भारत में कोरोना वायरस के 198,706 मामले हो गए हैं और 5,598 लोगों की मौतें हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट https://www.mohfw.gov.in में इस बारे में पुष्टि की गई है। सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि 'भारत में कोविड-19 के मामले तेज़ी से बढ़ने के कारण यह निर्णय लिया गया है। बताया गया है कि रेमडेसिवीर दवा इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध होगी और रिटेल में इसकी बिक्री डॉक्टर के पर्चे पर, अस्पताल में इस्तेमाल के लिए ही हो सकेगी।'
सीडीएससीओ के अनुसार, विशेषज्ञों की एक कमेटी से परामर्श लेने के बाद ही इस दवा के इस्तेमाल को मंज़ूरी दी गई है। हालांकि, यह बहुत ही स्पष्ट ढंग से कहा गया है कि 'रेमडेसिवीर का इस्तेमाल सिर्फ़ इमरजेंसी केस में ही किया जाये।' सीडीएससीओ के मुताबिक़, अब तक तीन भारतीय कंपनियों - सिपला, हेटेरो लैब्स और बीडीआर फ़ार्मा ने भारत में रेमडेसिवीर के निर्माण और उसकी बिक्री की अनुमति के लिए आवेदन किया है।
गिलियड साइंसेज ने सोमवार को रिपोर्ट दी थी कि रेमेडीसविर ने COVID-19 वाले रोगियों को फायदा पहुंचाया है। मरीजों को यह दवा पांच दिन तक दी गई जबकि एक दूसरे अध्ययन में इसे 10 दिनों देने तक कोई फायदा नहीं दिखा। यूरोपीय और दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने भी रेमेडीसविर को बेहतर माना है। दक्षिण कोरियाई स्वास्थ्य अधिकारियों ने पिछले शुक्रवार को कहा कि वे दवा के आयात का अनुरोध करेंगे। गिलियड को अभी तक बाजार में इस दवा को बेचने की मंजूरी नहीं मिल पाई है।